जयपुर: भाजपा महिला मोर्चा ने गहलोत सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. विरोध प्रदर्शन का यह कार्यक्रम प्रदेश भाजपा मुख्यालय से शुरू हुआ. खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया भी प्रदर्शनकारी महिला कार्यकर्ताओं के साथ कुछ दूर पैदल चले. महिलाओं ने अपने हाथों में विरोध स्वरूप काले गुब्बारे भी ले रखे थे, जिन्हें उन्होंने आसमान में उड़ाया. कुछ महिलाओं ने गहलोत सरकार विरोधी स्लोगन लिखे पोस्टर हाथ में लिए हुए थे.
मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा और मोर्चा की राष्ट्रीय पदाधिकारी पूजा कपिल के नेतृत्व में भाजपा महिला कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए सिविल लाइंस फाटक पहुंचीं. यहां महिला पुलिस जवानों के साथ तीखी नोकझोंक भी हुई.
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मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा के मुताबिक राजस्थान में ना तो महिलाएं सुरक्षित हैं, ना बच्चे और बुजुर्ग. लगातार महिला उत्पीड़न और अपराध से जुड़ी घटनाओं में इजाफा हो रहा है. यह साफ तौर पर दर्शाता है कि मुख्यमंत्री का फोकस केवल अपनी कुर्सी बचाए रखने तक सीमित है.
भाजपा महिला मोर्चा का हल्ला बोल मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष जय श्री गर्ग ने बताया कि कोरोना काल में भी महिलाओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा. महिला अपराध इतने बढ़ चुके हैं कि लोग अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं. मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है और नैतिक रूप से इसकी पूरी जिम्मेदारी भी उन्हीं की है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल साबित हुए.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा कि पानी सर से ऊपर गुजर गया है. एक तरफ तो मीडिया के लोग कहते हैं कि कांग्रेस ने ज्यादा प्रदर्शन किए, बीजेपी ने कम किए. मापदंड तो दोहरा हो नहीं सकता इसलिए किसी भी काम के लिए आवाज उठाना लोकतांत्रिक फर्ज है. बाकी कानून और सरकार का काम वो करें.
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महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा के मुताबिक महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, इसलिए मोर्चा अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेगी. कोरोना से बचाव के लिए उपाय भी करेगी लेकिन विरोध प्रदर्शन नहीं रुकेगा.
महिला मोर्चा के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं से जब ईटीवी भारत ने बात की तो ग्रामीण परिवेश की कई महिलाएं प्रदर्शन में जरूर शामिल हुईं लेकिन कैमरे के आगे कुछ ना बोल पाईं. कुछ महिलाओं ने कहा कि मौजूदा सरकार में हमारा कुछ काम नहीं हो रहा तो कुछ बढ़ती महंगाई और गैस पर सब्सिडी हटाए जाने से दुखी भी. कुछ महिलाएं यह कहने से भी नहीं चूकीं कि गैस पर सब्सिडी मिलनी भले ही बंद कर दी गई हो लेकिन केंद्र सरकार ने जितनी राहत इस कोरोना कालखंड में दी है उतनी राज्यसरकार ने नहीं दी.
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प्रदेश में जारी कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक बड़े विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रमों पर पाबंदी है. सोशल डिस्टेंसिंग की पालना और मुंह पर मास्क से जुड़ा नियम भी सख्ती से फॉलो करने के दिशा-निर्देश हैं, लेकिन जयपुर में हो रहे राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में इन सब की धज्जियां उड़ती साफ तौर पर देखी जा सकती है.विपक्ष के रूप में भाजपा प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ सड़कों पर है तो वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर बार-बार प्रदर्शन करते देखे गए हैं.
ऐसे में प्रशासन आखिर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने वाले राजनेता और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करे भी तो आखिर कैसे? इन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए प्रदेश की आम जनता की अलग धारणा है. हाल ही में सरकार ने ईद पर होने वाले बड़े आयोजन और सावन माह में निकाले जाने वाली कावड़ यात्रा पर भी पाबंदी लगा दी लेकिन उससे ज्यादा भीड़ इन राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में जुट रही है और कोई कार्रवाई भी नहीं होती. ऐसे में आम जनता यही कहती है कि नियम बनते हैं तो केवल आम जनता के लिए, राजनेता और कार्यकर्ताओं के लिए नहीं.