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राजस्थान में जल जीवन मिशन की कछुआ चाल...जलशक्ति मंत्री शेखावत ने गहलोत को लिखा पत्र - नल कनेक्शन

राजस्थान में 'हर घर नल से जल' योजना की धीमी गति पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि 2019-20 में राज्य ने 18 लाख की तुलना में केवल 1 लाख नल कनेक्शन ही दिए हैं, जबकि राज्य को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है. नीचे पढ़ें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने पत्र में क्या-क्या लिखा.

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शेखावत ने नल कनेक्शन की धीमी गति पर मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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Published : Jun 14, 2020, 9:27 AM IST

जयपुर.राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत 'हर घर नल से जल' योजना की धीमी गति पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र में शेखावत ने कहा है कि 2019-20 में राज्य ने 18 लाख की तुलना में केवल 1 लाख नल कनेक्शन दिए हैं, जबकि राज्य को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई गई है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछले साल के उपलब्ध धन को तेजी से खर्च करें, ताकि केंद्र सरकार अगली किस्त तत्काल दे सके. शेखावत ने मुख्यमंत्री से राजस्थान को मार्च 2024 तक 100 प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन वाला राज्य बनाने के लिए सभी प्रकार सहायता देने का वचन दिया है.

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पत्र में शेखावत ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में जहां राजस्थान को 1,051 करोड़ रुपए दिए गए थे, वहीं इस साल जल जीवन मिशन के अंतर्गत 2,522 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 1,145 करोड़ रुपए दिए गए हैं. वर्तमान स्थिति में राजस्थान को केंद्रीय हिस्से के रूप में इस साल की केंद्रीय निधि को मिलाकर साढ़े तीन हजार करोड़ से अधिक की राशि उपलब्धा होगी.

उन्होंने लिखा कि 15वें वित्त आयोग अनुदान के तौर पर राजस्थान के पंचायती राज संस्थानों को 3,862 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जिसमें 50 प्रतिशत राशि 1,931 करोड़ जल आपूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जानी है. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गंदे जल के शोधन और इसका पुनर्उपयोग करने के लिए भी अलग से धनराशि प्रदान की जा रही है. राजस्थान सरकार चाहे तो इस उपलब्ध धन से ग्रामीण क्षेत्रों में गांव की गलियों में बहने वाले गंदले जल की समस्या में काफी हद तक सुधार ला सकती है.

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शेखावत ने कहा कि राजस्थान मिनिरल बहुल राज्य है. राज्य के हर जिले के पास डिस्ट्रिक्ट मिनिरल डिवेलप्मेंट फंड उपलब्ध है, जिसकी सहायता से पानी की योजना के श्रोत के एक्वीफर को रीचार्ज किया जा सकता है और उपलब्ध मनरेगा धन की सहायता से भी गांव में तालाबों और कुओं की सफाई और गहरा करने का कार्य किया जा सकता है.

7 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध

शेखावत ने कहा कि राजस्थान के लिए निधि के कमी नहीं होगी. कुल मिलकर राज्य सरकार के पास इस साल परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन देने के लिए 7 हजार करोड़ से ज्यादा की धनराशि उपलब्ध है.

वंचितों के लिए 6 महीने में 50 लाख कनेक्शन संभव

शेखावत ने ध्यान दिलाया कि राज्य में जिन परिवारों को नल कनेक्शन नहीं मिल सके हैं, उनमें से अधिकांश गरीब वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं. यदि पाइप जल प्रणाली वाले इन गांवों में शेष बचे परिवारों को मौजूदा स्कीमों की रिट्रोफिटिंग/स्तरोन्नयन का काम लेकर नल कनेक्शन दिए जाएं, तो अगले 4 से 6 महीने में 50 लाख घरों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा सकते हैं. ये गांव हर घर जल गांव बन सकते हैं. शेखावत ने फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में दिसंबर, 2020 तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की बात भी की है.

कोविड लड़ाई में सहायता से रोजगार भी मिलेगा

उन्होंने लिखा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए, सभी घरों में जल आपूर्ति का काम वरीयता के आधार पर हर घर को नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए किया जाएगा तो यह न केवल सामाजिक दूरी का पालन करने में मदद करेगा, अपितु इससे स्थानीय लोगों को रोजगार पाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायता मिलेगी. साथ ही हर घर को पानी भी मिल पाएगा. वर्ष 2020-21 के लिए 35 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सकती है चर्चा

शेखावत ने जल जीवन मिशन की समीक्षा के लिए बहुत जल्द वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से मुख्यमंत्री के साथ सीधे चर्चा करने की इच्छा जताई है, जिससे राज्य में जल जीवन मिशन को गति दी जा सके. राजस्थान इसलिए अहम है क्योंकि राजस्थान में पीने का साफ पानी मुहैया कराना आज भी एक चुनौती बना हुआ है. जहां एक ओर राज्य में सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं तो दूसरी ओर रेगिस्तान है.

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उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की समस्या भी एक चुनौती है. राज्य में सूखा जैसी स्थिति, पानी की कमी और भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की स्थित के ध्यान में रखकर केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत वार्षिक आवंटन में वरीयता दी जाती है. इसलिए राजस्थाान को अपेक्षाकृत अधिक राशि प्राप्त हो रही है.

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