जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर बिजली का संकट गहराने लगा है. बिजली की कमी के चलते कई इलाकों में अघोषित शट डाउन चल रहा है, जिससे आमजन परेशान है. हालांकि, बिजली आपूर्ति में कमी का एक बड़ा कारण एकाएक बिजली की खपत बढ़ना तो है ही साथ ही विद्युत उत्पादन निगम की थर्मल इकाईयों में कोयले की कमी होना भी है.
बरसात नहीं होने से भी खपत बढ़ी, महंगे दामों पर बिजली खरीदना मजबूरी
प्रदेश में पिछले कुछ समय से मानसून कमजोर पड़ा है. कई इलाकों में बरसात नहीं होने और गर्मी बढ़ने से भी घरेलू बिजली के उपभोग और खपत में इजाफा हुआ है. वहीं, बरसाती फसलों को बचाने के लिए भी किसानों ने सिंचाई शुरू कर दी है, जिसके कारण एग्रीकल्चर लोड भी एकदम से बढ़ गया है.
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शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक बिजली की कमी काफी ज्यादा रहती है और 2200 मेगावाट का शॉर्ट फॉल आने से डिस्कॉम अघोषित बिजली कटौती भी कर रहा है. छोटे कस्बों और जिलों में यह कटौती 2 से 4 घंटे तक की जा रही है. ऐसे में अगर बिजली का संकट गहराया तो बड़े शहरों में भी अलग-अलग स्थानों पर यह अघोषित कटौती शुरू हो सकती है. वर्तमान में 2975 लाख यूनिट प्रतिदिन की खपत हो रही है, जो अबतक कि सर्वाधिक खपत है.
डिस्कॉम की ओर से भुगतान नहीं होना भी है एक बड़ा कारण
बताया जा रहा है की राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की कालीसिंध थर्मल इकाई में कोयले की कमी के चलते विद्युत उत्पादन बंद हो चुका है. थर्मल से जुड़ी अन्य उत्पादन इकाइयों में भी कोयले की कमी का असर दिख रहा है. हालांकि, कोयले की कमी का बड़ा कारण संबंधित कंपनियों को समय पर भुगतान नहीं होना भी है. डिस्कॉम की ओर से भी राज्य विद्युत उत्पादन निगम को लंबे समय से भुगतान नहीं हुआ, जिसके कारण एक बड़ी राशि अब तक बकाया चल रही है.