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Followup : नींदड़ आवासीय योजना 2013 में ही कर ली गई थी अवार्ड, किसानों को दिया जा रहा 25 फीसदी विकसित भूमि का मुआवजा : जेडीए

जयपुर विकास प्राधिकरण की नींदड़ आवासीय योजना के खिलाफ जहां किसान जमीन समाधि लेकर सत्याग्रह कर रहे हैं तो वहीं जेडीए प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि योजना से प्रभावित काश्तकारों से समझाइश कर समर्पित भूमि के आरक्षण पत्र जल्द जारी किए जाएंगे.

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नींदड़ आवासीय योजना फोलोअप

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Published : Jan 8, 2020, 6:03 AM IST

जयपुर. जेडीए की नींदड़ आवासीय योजना 327 हैक्टेयर में प्रस्तावित है. जेडीए का दावा है कि करीब 10 साल पहले ही जमीन की अवाप्ति की गई थी और 2013 में योजना का अवार्ड किया गया था. यही वजह है कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत काश्तकारों की जमीन अवाप्त की जा रही है. साथ ही प्रभावित काश्तकारों को समर्पित भूमि के आरक्षण पत्र भी जल्द जारी किए जाएंगे. नींदड़ में किसानों के जमीन समाधि सत्याग्रह के बाद उठे सवालों का जवाब तलाशने ईटीवी भारत टीम जेडीए पहुंची. जहां जेडीए आयुक्त टी. रविकांत ने उन तक ये मसला नहीं पहुंचने की बात कहते हुए जोन-12 के उपायुक्त मनीष फौजदार से जानकारी लेने की बात कही.

नींदड़ आवासीय योजना फोलोअप

इस संबंध में फौजदार ने बताया कि नींदड़ आवासीय योजना की जमीन का अधिग्रहण 2010 में ही शुरू हो गया था और नया अवाप्ति कानून आने से पहले 2013 में इस योजना का अवार्ड किया गया था. उनका कहना रहा कि 2017 में भी कुछ किसानों ने इसे लेकर आंदोलन किया था. उस वक्त किसानों ने पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. लेकिन, 4 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों की याचिका को खारिज करते हुए इस अवाप्ति को सही माना. उन्होंने कहा कि नींदड़ आवासीय योजना से प्रभावित काश्तकारों को समझाइश कर समर्पित भूमि के आरक्षण पत्र जारी किए जाएंगे और इसके बाद योजना को गति प्रदान की जाएगी.

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मनीष फौजदार ने ये भी साफ किया कि काश्तकारों को 25% विकसित भूमि का मुआवजा दिया जा रहा है. जिसमें 20% आवासीय भूखंड और 5% व्यवसायिक भूखंड दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि बीते 1 साल से काश्तकार खुद जेडीए के चक्कर काटकर इस योजना को शुरू करने की मांग कर रहे थे. हालांकि, अब काश्तकार जेडीए की ओर से मिलने वाले मुआवजे से संतुष्ट नहीं होने के चलते आंदोलन की राह पर उतर जमीन समाधि लेकर सत्याग्रह कर रहे हैं.

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