जयपुर. जयपुर मेट्रो का फेस वन बी पार्ट बनकर तैयार है. मेट्रो प्रशासन इस ट्रैक पर मेट्रो दौड़ाने की तैयारी भी कर चुका है, लेकिन एक छोटी सी तकनीकी खामी ने भूमिगत मेट्रो पर ब्रेक लगा दिया हैं. अब मेट्रो प्रशासन इस खामी को दूर करने में जुटा है, ताकि शहरवासियों का इंतजार खत्म हो सकें.
20 सेंटीमीटर के फेर में फंसी जयपुर भूमिगत मेट्रो दरअसल, चांदपोल से बड़ी चौपड़ के बीच चलने वाली जयपुर मेट्रो के फेस वन बी पार्ट का सिविल वर्क पूरा हो चुका है. छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ मेट्रो स्टेशन भी अपना अंतिम रूप ले चुके हैं. लेकिन अभी तक रेलवे सेफ्टी कमिश्नर से भूमिगत मेट्रो को एनओसी नहीं मिल पाई है. इसका कारण एक तकनीकी खामी को बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार मेट्रो ट्रेन और ट्रैक के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी बनी हुई है. ये खामी मेट्रो के इंटरनल सेफ्टी फीचर को लेकर किए गए ट्रायल के दौरान सामने आई है. हालांकि अब इसे दुरुस्त किए जाने की बात की जा रही है.
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बता दें कि किसी भी मेट्रो के कमर्शियल संचालन से पहले कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी से एनओसी लेनी होती है. इससे पहले मेट्रो प्रशासन को कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी के सामने मेट्रो के ट्रायल का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करना होता है. हालांकि जयपुर मेट्रो की ये तकनीकी खामी अप्रैल के पहले ही चरण में सामने आ चुकी है. ऐसे में अब इसे दूर करने में मेट्रो के इंजीनियर जुटे हुए हैं.
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में जयपुर नगर निगम के चुनाव संभावित है. इन चुनावों में कांग्रेस सरकार भूमिगत मेट्रो को ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है. यहीं वजह है कि खुद यूडीएच मंत्री मेट्रो फेज वन बी पार्ट पर निगरानी रखे हुए है. लेकिन कांग्रेस को ये ट्रंप कार्ड खेलने का मौका मिलेगा भी या नहीं, इस पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.