जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को राज्य सरकार (rajasthan Government reply in High Court) की ओर से कहा गया कि जनहित में ज्यादा से ज्यादा लोगों को भूमि का पट्टा देने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा है. जिससे अधिक से अधिक लोगों को उनके मकानों का स्वामित्व और हक मिल सके और विवादों का निस्तारण हो.
इस दौरान किसी भी तरह से हाईकोर्ट के फैसलों या नियमों की अवहेलना नहीं की जा रही है. वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सुविधा क्षेत्र, अवैध कब्जे या प्रतिबंधित श्रेणी की भूमि का नियमन कर पट्टे जारी नहीं किए जा सकते हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश भंवरलाल व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर दिए.
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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हरिन पी रावल ने कहा कि जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले. वहां पर विकास हो और लोगों के पास उनके मकान के पट्टे हो तो विवादों का निस्तारण होगा व लोगों को उनकी जमीन का हक मिलेगा. इसी भावना से प्रशासन शहरों के संग अभियान (prashasan sheron ke sang campaign) के तहत पट्टे दिए जा रहे हैं. इस दौरान जेडीए या निगम क्षेत्र में आ रही भूमि के पट्टे देने के दौरान पूरी तरह से कानून की पालना कर रहे हैं.
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याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि जेडीए या निगम क्षेत्र में आने से प्राकृतिक क्षेत्र, वन, नदी या इकोलॉजिकल जोन समाप्त नहीं हो जाता है. किसी भी स्थिति में सुविधा क्षेत्र एवं प्रतिबंधित क्षेत्र में पट्टा नहीं दे सकते हैं. हाईकोर्ट जनवरी 2017 में भी इस संबंध में दिशा-निर्देश दे चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत छह अक्टूबर को अंतरिम आदेश जारी कर मास्टर डेवलपमेंट प्लान के तहत अधिसूचित जोनल डेवलपमेंट प्लान और सेक्टर प्लान के विपरीत सार्वजनिक भूमि, कृषि भूमि या कब्जे के नियमन पर रोक लगा दी थी. अदालत ने यह भी कहा था कि जिन कस्बों या शहरों में जोनल डेवलपमेंट प्लान या सेक्टर प्लान अनुमोदित नहीं है. वहां किसी भी तरह के निर्माण या अनाधिकृत रूप से विकसित कॉलोनी के नियमन की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाए.