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राज्य सरकार ने आम जनता पर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर डाला अतिरिक्त भार: उपनेता प्रतिपक्ष

प्रदेश में चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला. राठौड़ ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से आम नागरिकों की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है. ऐसे में राज्य सरकार ने जनता पर फ्यूल सरचार्ज के नाम अतिरिक्त भार डाल दिया है.

Rajendra Rathore attacked Congress, राजेन्द्र राठौड़ ने कांग्रेस पर बोला हमला
राजेन्द्र राठौड़ ने कांग्रेस पर बोला हमला

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Published : Jul 18, 2020, 4:12 PM IST

जयपुर. प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच एक ओर जहां आरोप-प्रत्यारोप लग रहे है, वहीं राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर मौजूदा सरकार को घेरा है.

राठौड़ ने कहा कि देश में कोरोना महामारी वायरस के कारण आम नागरिक की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है. ऐसे में राज्य सरकार ने 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 28 पैसे प्रति यूनिट बिजली के दरों में बढ़ोतरी कर 1 हजार 40 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार डालकर कोढ़ में खाज का काम किया है.

राठौड़ ने कहा कि जन घोषणा पत्र के माध्यम से कांग्रेस सरकार ने विद्युत दरों में बढ़ोतरी नहीं करने के वादे को दरकिनार कर पूर्व में 6 फरवरी 2020 को विद्युत दरों में औसतन 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर प्रति यूनिट औसतन 70 पैसे की बढ़ोतरी करने का काम किया था.

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अभी पुनः अक्टूबर से दिसंबर 2019 की तिमाही में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर वसूल किए जा रहे 30 पैसे प्रति यूनिट को बढ़ाकर जनवरी से मार्च 2020 तक 58 पैसे यानि 28 पैसे की रिकॉर्ड बढ़ोतरी कर दिया गया है. साथ ही इस दर को लगातार 2 तिमाही का एक साथ वसूल करने का आदेश देकर सामान्य उपभोक्ता पर 500 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये प्रतिमाह तक का अतिरिक्त भार डालने का जनविरोधी कार्य किया है.

राठौड़ ने कहा कि नियामक आयोग विनिमय में फ्यूल सरचार्ज की वसूली 1 तिमाही में ही किए जाने का प्रावधान है, जबकि राज्य सरकार ने नियामक आयोग के नियमों को धत्ता बताकर 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं से 2 तिमाही के फ्यूल सरचार्ज की राशि एक साथ वसूल करने का नियम विरुद्ध कार्य किया है.

राठौड़ ने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं की विद्युत दरों में देश में राजस्थान सर्वाधिक विद्युत दरों की दृष्टि से छठें स्थान पर है. राज्य सरकार की गलत नीतियों और प्रबंधन कार्यों के कारण विद्युत कंपनियों का समग्र घाटा 2017-18 में उदय योजना के कारण से 80 हजार करोड़ रु से घटकर 20 हजार करोड़ रु रह गया था, जो अब पुनः 1 लाख 9 हजार करोड़ रु हो गया है.

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के बावजूद भी 18266.80 मिलियन यूनिट बिजली पिछले वर्ष औसतन क्रय की गई थी, जबकि राज्य का कुल उत्पादन प्रतिदिन लगभग 3 लाख यूनिट है. वहीं खपत 2 लाख 61 हजार यूनिट है. इसके पश्चात भी औसतन 4 रु 20 पैसे से लेकर 4 रु 40 पैसे तक प्रति यूनिट महंगी बिजली खरीदना कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार किए जाने का संशय पैदा करता है.

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राठौड़ ने राज्य सरकार से कोरोना काल के 4 माह के फिक्स चार्ज की राशि और बढ़े हुए फ्यूल चार्ज की राशि को वापस लिए जाने की मांग करते हुए राज्य सरकार द्वारा पिछले दरवाजे से विद्युत दरों की बढ़ोतरी को जनविरोधी बताया है.

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