जयपुर. राजस्थान इतिहास और पर्यटन के लिए मशहूर तो है ही. साथ ही इस धरती ने अनेकों प्रतिभाओं को जन्म दिया है, जो देश-विदेश में नाम रौशन कर रही है. राजस्थान की मिट्टी से कई खेल प्रतिभाएं भी निकली हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और प्रदेश का मान बढ़ाया है. लेकिन ये प्रतिभाएं सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रही हैं.
टोक्यो ओलंपिक में शूटरों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. टोक्यो ओलंपिक में राजस्थान के दो शूटर भी भारतीय दल का हिस्सा बने. उम्मीद लगाई जा रही थी कि शूटर दिव्यांश पवार (Divyansh Singh Pawar) और अपूर्वी चंदेला (Apurvi Chandela) इस बार मेडल पर जरूर निशाना लगाएंगे लेकिन अब तक निराशा हाथ लगी है.
राजस्थान के ये दो शूटर जब टोक्यो ओलंपिक में गए तो राजस्थान की निगाहें इन दो शूटरों पर टिक गई. इन दोनों खिलाड़ियों में प्रतिभा कूट-कूटकर भरी हैं. दिव्यांश पवार की शूटिंग वर्ल्ड रैंकिंग दूसरी है. दिव्यांश ने वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में 4 गोल्ड, 1 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज जीता है. भले ही राजस्थान के इन खिलाड़ियों से पदक की उम्मीदें लगाई जा रही हैं लेकिन खिलाड़ियों को इंटरनेशनल लेवल के अनुसार सुविधाएं नहीं मिल रही है. यहां तक की अभ्यास के लिए इलेक्ट्रॉनिक टारगेट भी शूटिंग रेंज पर मौजूद नहीं है.
क्या है इलेक्ट्रॉनिक्स टारगेट
शूटिंग के दौरान जिस टारगेट पर स्कोरिंग के लिए निशाना लगाया जाता है, उसे अब इलेक्ट्रॉनिक टारगेट के रूप में तब्दील कर दिया गया है. इससे पहले गत्ते के टारगेट तैयार किए जाते थे. जिस पर शूटर अभ्यास किया करते थे. इलेक्ट्रॉनिक टारगेट्स में स्कोरिंग डिजीटल होती है. शूटर टारगेट से जुड़ी एक डिवाइस से आसानी से स्कोर देख सकता है. इसके अलावा टारगेट मशीन के जरिए अपने आप ही चेंज होता है. जिससे शूटर को अभ्यास करने में काफी आसानी रहती है.
जयपुर के जगतपुरा स्थित शूटिंग रेंज (Jagatpura shooting range of Jaipur) पर आज भी खिलाड़ी गत्ते को टारगेट पर अभ्यास कर रहे हैं. ऐसे में अंतराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स टारगेट पर बिना प्रैक्टिस निशाना लगाने में परेशानी होती है. इसको देखते हुए इंटरनेशनल प्रतियोगिता से पहले खिलाड़ियों को राजस्थान से बाहर जाकर अभ्यास करना पड़ता है. हालांकि, जगतपुरा शूटिंग रेंज पर इलेक्ट्रॉनिक्स टारगेट लगाने के लिए कई बार फाइल चली लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
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