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Published : Mar 4, 2020, 1:17 PM IST

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अफीम का 'खेल': गेहूं की फसल के बीच पक रहा था 'काला सोना', अधिकारियों की पड़ी नजर तो रह गए दंग

जयपुर की ग्रामीण पुलिस ने खान्या बस्सी गांव में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. जहां अफीम की खेती की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम जयपुर जिला ग्रामीण पुलिस के आला अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची और पुलिस की पूरी कार्रवाई को बारीकी से देखा और समझा...देखें EXCLUSIVE रिपोर्ट.

Police action on illegal cultivation of opium, अफीम की अवैध खेती पर पुलिस की कार्रवाई
अफीम की अवैध खेती पर पुलिस की कार्रवाई

जयपुर.राजधानी से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर सरिस्का वन क्षेत्र में 6 किलोमीटर अंदर स्थित खान्या बस्सी गांव में जयपुर की ग्रामीण पुलिस की ओर से रामधन मीणा और रामफूल बलाई के संदिग्ध खेतों को घेरकर अफीम की अवैध खेती के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

अफीम की अवैध खेती पर पुलिस की कार्रवाई, यहां देखें

पुलिस ने रामधन मीणा के खेत से अवैध रूप से उगाए हुए अफीम के 680 पौधे और 103 किलोग्राम डोडा बरामद किया. वहीं, रामफूल बलाई के खेत से 0.4 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाए हुए 78647 अफीम के पौधे बरामद किए. कच्चे और पहाड़ी रास्ते पर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद पुलिस उस खेत तक पहुंची, जहां पर सरसों और गेहूं की फसल के बीच में छिपाकर अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही थी.

अफीम की अवैध खेती पर पुलिस की कार्रवाई, यहां देखें

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डोडे में रात को चीरा लगाकर सुबह अफीम इकट्ठा करते तस्कर

अफीम के खेत में कार्रवाई के दौरान एडिशनल एसपी ज्ञान चंद यादव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि आखिक किस तरह से गिरफ्त में आए तस्कर अफीम की खेती किया करते. ज्ञान चंद यादव ने बताया कि तस्करों ने अफीम की खेती के लिए जो पठारी इलाका चुना वहां का तापमान अफीम की खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल है.

अफीम की खेती का पर्दाफाश

अफीम की खेती के लिए काफी पानी की आवश्यकता होती है और खेत में ट्यूबवेल के जरिए लगातार पानी की सप्लाई पौधों में की जा रही है. इसके साथ ही अफीम के पौधे लगाने के लिए तस्कर कहीं दूसरे इलाके से काली मिट्टी भी लेकर आए. जिसे खेत में खाली कर उसमें अफीम के पौधे लगाए गए.

अफीम के 680 पौधे और 103 किलो डोडा बरामद

अफीम के पौधे बड़े हो जाने पर जब उसमें डोडा लगा तो उस डोडे में तस्कर रात को अलग-अलग हिस्सों में चीरा लगा देते. सुबह उसमें से दूध के रूप में जो अफीम बहकर बाहर आता उसे किसी नुकीली वस्तु से हटा कर बर्तन में इकट्ठा कर लेते. डोडे में से सफेद बीज निकालकर पोस्त के रूप में बेचा करते और फिर अफीम के पूरे पौधे को जड़ समेत डोडे की खोल के साथ पीसकर डोडा चूरा बनाते.

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चित्तौड़गढ़ से जुड़े हो सकते हैं अफीम की खेती के तार

जयपुर जिला ग्रामीण पुलिस की ओर से बड़े पैमाने पर की जा रही अफीम की खेती का पर्दाफाश करने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जयपुर के ग्रामीण इलाके में अवैध रूप से की जा रही अफीम की खेती के तार कहीं ना कहीं चित्तौड़गढ़ के तस्करों से जुड़े हुए हैं.

अफीम की अवैध खेती पर पुलिस का शिकंजा

जिस तरह से दोनों तस्करों की ओर से अफीम की खेती की जा रही थी और अफीम के पौधे और डोडे का पूरा ध्यान रखा जा रहा था, उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि तस्कर या तो चित्तौड़गढ़ में रहकर अफीम की खेती कर चुके हैं या फिर वहां के किन्हीं तस्करों से लगातार संपर्क में है. जिनके माध्यम से अफीम की खेती की बारीकियों के बारे में जानकारी हासिल की गई है. हालांकि, इस विषय में पुलिस की जांच जारी है.

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