जयपुर. अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले पूर्व सीजेआई और राज्य सभा सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या मामले (Former CJI Ranjan Gogoi speak in talk show) में फैसला सुनाना आसान नहीं था. इस मामले में कोई जज हाथ नहीं डालना चाहते थे. लेकिन एक सीमा के परे निर्णय मानवीय और विधि सम्मत होना जरूरी है. अयोध्या मामले के साथ संविधान में रेफरेंडम के लिए जगह नहीं होनी चाहिए.
दरअसल प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से एक निजी होटल में 'विधि, समाज और लोक विमर्श' विषय पर टॉक शो का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यपाल कलराज मिश्र थे, जबकि मुख्य वक्ता पूर्व CJI और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई थे.
अयोध्या फैसले पर सवाल जवाबःपूर्व CJI और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के साथ संवाद राजस्थान HC के अधिवक्ता रमन नंदा ने किया. उन्होंने संवाद के दौरान अयोध्या फैसले को अलग बताया. गोगोई ने कहा कि अयोध्या का फैसला अलग तरह का था. इस तरह के मामले के साथ संविधान में रेफरेंडम के लिए जगह नहीं होनी चाहिए. आज के आधुनिक जमाने में अयोध्या जैसा फैसला आने में वर्षों लगने के सवाल पर गोगोई ने कहा कि तकनीक और उम्मीदों से दबाव बढ़ता है , लेकिन एक सीमा के परे निर्णय मानवीय और विधि सम्मत होना जरूरी है और राजनीतिक तथा जनमत के दबाव में फैसले नहीं लिए जा सकते.