जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 30 साल पहले तीन लोगों की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. वहीं अदालत ने अभियुक्त प्रेमसिंह को मिली चार साल की सजा को आजीवन कारावास में बदल किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिए.
मामले के शिकायतकर्ता श्योराण की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि चुनावी रंजिश के चलते 10 जून 1988 को कोमल, करतार सिंह और प्रेमसिंह हथियारों से लैस होकर अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता के भरतपुर स्थित घर आए. यहां उन्होंने अंधाधुंध गोलियां चलाई. जिससे तीन लोगों की मौत और दस लोग घायल हो गए.
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ट्रायल कोर्ट ने तीस अगस्त 1989 को हत्या के आरोप में अभियुक्त कोमल और करतार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जबकि हत्या के प्रयास के आरोप में प्रेमसिंह को चार साल की सजा दी गई.
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शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि शकुंतला ने मरने से पहले पुलिस को बयान दिया था कि उसे प्रेमसिंह ने गोली मारी है. इसके बावजूद भी ट्रायल कोर्ट ने उसे हत्या का दोषी नहीं माना. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्तों को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए प्रेमसिंह की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है.