जयपुर.वन व पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई ने सदन में अपने वक्तव्य में बताया कि घटना में लापरवाही बरतने पर रेंजर रूप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. वहीं मामले की जांच पूरी होने पर अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी को नोटिस दिया गया है और कमेटी का गठन भी कर दिया गया.
सदन में गूंजा हिरण शिकार मामला भाजपा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने यह मामला उठाया था. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया और उपनेता राजेन्द्र राठौड़ के साथ विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने भी अपनी आपत्ति जताई और कहा कि प्रधान वन संरक्षक ने बार-बार इस मामले में अपने आदेश को बदला है. राठौड़ ने कहा पहले अधिकारी रेंजर को सस्पेंड करता है और फिर बाद में खुद ही उसको बहाल करने के लिए प्रस्ताव भी भेजता है, बाद में आप उसे नोटिस देकर अपने काम की इतिश्री कर लेते हैं. यह तो लापरवाह अधिकारियों को बढ़ावा देने का काम हुआ.
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उन्होंने मांग की कि मामले में लापरवाही बरतने के लिए दोषी इस अधिकारी को सरकार निलंबित कर करके जांच करवाए. वहीं प्रतिपक्ष के सदस्यों ने आसन पर मौजूद सभापति राजेंद्र पारीक से संरक्षण मांगते हुए कहा कि मंत्री के जवाब से स्पष्ट है कि अधिकारी दोषी हैं. लेकिन फिर भी उसे बचाया जा रहा है और यह परंपरा सदन की गरिमा को कमजोर करेगी. वहीं इस मामले में सभापति राजेंद्र पारीक ने हस्तक्षेप करते हुए मन मंत्री से सवाल किया कि उन्होंने पहले रेंजर को सस्पेंड किया और फिर वापस सस्पेंशन लिया. क्या सस्पेंशन के दौरान नोटिस देने की कार्रवाई नहीं हो सकती थी. इस पर मंत्री ने बताया कि इस मामले में निलंबित किए गए रेंजर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने बहाल किया है. लेकिन जीव प्रेमियों के विरोध और जिला कलेक्टर के निर्देश पर गठित कमेटी की ओर से इस मामले में जांच की जा रही है और अधिकारी को नोटिस भी जारी कर दिया गया है.
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इस बीच भाजपा विधायक अधिकारी को निलंबित करने की मांग करने लगे जिस पर सभापति ने चर्चा समाप्त कर दी. ऐसे में नाराज भाजपा विधायक सदन से वाकआउट कर गए. गौरतलब है कि लूणकरणसर के शुभलाई गांव में 22 जनवरी की रात को हिरणों का शिकार हुआ था. शिकारियों की गिरफ्तारी और वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आरोप लगाते हुए जीव प्रेमियों ने धरना भी दिया था.
प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद इस मामले में रेंजर मनरूप सिंह को निलंबित किया गया जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम के निर्देश पर पूरे मामले की जांच के लिए डीएम प्रशासन की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की गई. जांच पूरी नहीं हुई और इस दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने 18 फरवरी को आदेश जारी कर रेंजर को बहाल कर दिया. इसकी जानकारी मिलने पर वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया और कलेक्टर को शिकायत को और अब ये मामला सदन में भी उठ गया.