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लैब टेक्नीशियन भर्ती को लेकर SOG से प्रगति रिपोर्ट तलब

जयपुर शहर के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-3 ने महानगर द्वितीय ने सहायक रेडियोग्राफर और लैब टेक्नीशियन भर्ती- 2020 में अनियमिता के मामले में जांच कर रही एसओजी से 15 जून तक प्रगति रिपोर्ट तलब की है. वहीं, राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही के मामले में झुंझूनुं के रुकमणी देवी मेमोरियल अस्पताल की अपील को खारिज करते हुए आदेश दिए हैं कि मरीज को परिवाद व्यय के तौर पर 3300 रुपए के बजाए 25 हजार रुपए अदा किए जाएं.

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लैब टेक्नीशियन भर्ती

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Published : Jun 14, 2021, 10:57 PM IST

जयपुर.शहर के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-3 ने महानगर द्वितीय ने सहायक रेडियोग्राफर और लैब टेक्नीशियन भर्ती- 2020 में अनियमिता के मामले में जांच कर रही एसओजी से 15 जून तक प्रगति रिपोर्ट तलब की है. अदालत ने यह आदेश विनोद कुमार यादव और अन्य के परिवाद पर दिए.

परिवादी की ओर से अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने पिछले साल सहायक रेडियोग्राफर के एक हजार 58 और लैब टेक्नीशियन के 1119 पदों पर भर्ती निकाल कर अभ्यर्थियों का चयन किया था. इस दौरान अनियमितता बरतते हुए कई अपात्र अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई, जबकि कई अभ्यर्थियों ने दूसरे राज्यों से गलत तरीके से डिप्लोमा हासिल किए हैं. पूर्व में एसओजी ने अदालत को बताया था कि प्रकरण में परिवाद दर्ज कर जांच की जा रही है. इस पर अदालत ने एसओजी से जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

वहीं, राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही के मामले में झुंझूनुं के रुकमणी देवी मेमोरियल अस्पताल की अपील को खारिज करते हुए आदेश दिए हैं कि मरीज को परिवाद व्यय के तौर पर 3300 रुपए के बजाए 25 हजार रुपए अदा किए जाएं. इसके साथ ही आयोग ने चिकित्सा में खर्च हुए एक लाख बीस हजार रुपए की ब्याज सहित अदा करने को कहा है.

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वहीं, जिला आयोग की ओर से लगाए मानसिक संताप के तौर पर दो लाख रुपए के हर्जाने को बहाल रखा है. राज्य आयोग ने यह आदेश अस्पताल के डॉ. मनीष धनखड़ की अपील को खारिज और मरीज जाकिर की अपील को आंशिक स्वीकार करते हुए दिए. मामले के अनुसार फरवरी 2011 में मरीज के दाएं पैर के ऑपरेशन में लापरवाही को लेकर जिला आयोग ने एक लाख बीस हजार रुपए चिकित्सा खर्च, दो लाख रुपए मानसिक संताप और तीन हजार तीन सौ रुपए परिवाद व्यय के तौर पर अदा करने को कहा था. अस्पताल की ओर से जिला आयोग के आदेश को रद्द करने और मरीज की ओर से क्षतिपूर्ति राशि बढ़ाने को लेकर राज्य आयोग में अपील पेश की गई थी.

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