जयपुर.राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अब समझाइश का दौर भी शुरू हो गया है. जहां शुक्रवार रात को 2 बजे हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ तौर पर यह कहा गया था कि जो भी विधायक सुबह होने वाली विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन दोपहर 12 बजते-बजते कांग्रेस पार्टी के तेवर कुछ ढीले पड़ गए और खुद पार्टी के आला नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि सचिन पायलट ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई बात नहीं कही है और ना ही उनसे कोई बात अभी हुई है.
ऐसे में यह साफ हो गया है कि अब कोई बीच का रास्ता निकालने में कांग्रेस पार्टी जुट गई है, ताकि मध्य प्रदेश की तरह एक बड़ा राज्य उनके हाथ से ना निकल जाए. बताया जा रहा है कि खुद प्रियंका गांधी इस मामले में बीच-बचाव कर रही हैं.
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अगर भाजपा नहीं तो पायलट के पास क्या रास्ता है...
कहा जा रहा है कि सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करेंगे और अगर सचिन पायलट भाजपा ज्वाइन नहीं करते हैं तो उनका और उनके समर्थक विधायकों के सामने क्या रास्ते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर किसी भी स्तर पर पायलट और गहलोत के बीच बात नहीं सुलझी और भाजपा में पायलट नहीं जाते हैं तो हो सकता है कि वे अपनी अलग से पार्टी बना लें. हालांकि, यह भी सही है कि राजस्थान में अब तक थर्ड फ्रंट का कोई अस्तित्व नहीं रहा है और खुद पायलट भी यह बात प्रदेश अध्यक्ष रहते कई बार कह चुके हैं.
अगर कांग्रेस के साथ पायलट बने रहे तो अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे...
बताया जा रहा है कि पायलट और गहलोत के बीच मनमुटाव का असली मुद्दा कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर था. माना जा रहा था कि प्रदेश में कैबिनेट एक्सपेंशन और पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट से पहले गहलोत गुट यह चाहता था कि सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए और अध्यक्ष पद को लेकर सचिन पायलट काफी संवेदनशील थे. इसी मुद्दे पर यह लड़ाई आज इस मोड़ पर पहुंच गई है.