जयपुर. राजस्थान ईस्टर्न कैनाल परियोजना (ERCP) को लेकर राजस्थान की सियासत इन दिनों उबाल पर है. कांग्रेस व गहलोत सरकार चाहती है कि केंद्र इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे, लेकिन भाजपा व केंद्र सरकार परियोजना को लेकर राज्य सरकार योजना से जुड़ी डीपीआर में ही खामी गिना रही है. स्थिति यह है कि कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. वहीं, बीजेपी ने भी उसका तोड़ निकालते हुए जन जागरण के लिए अपने नेताओं को अलर्ट कर दिया है. सियासत में जारी खींचतान के बीच ये परियोजना अधर में लटक गई है.
परियोजना को लेकर कांग्रेस जहां प्रदेश भर में केंद्र सरकार के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान (Congress Meeting on ERCP) चलाने का एलान कर चुकी है. वहीं, इसी कड़ी में 9 व 10 जुलाई को अलग-अलग जिलों में कांग्रेस से जुड़े प्रभारी मंत्री, विधायक और नेता प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे. बीजेपी ने भी इसका तोड़ निकाल लिया है. पूर्वी राजस्थान से जुड़े भाजपा के नेता व जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में इस परियोजना को लेकर जन जागरण करने का काम करेंगे. इसके लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो पार्टी से जुड़ा हर कार्यकर्ता और नेता कांग्रेस के इस परियोजना को लेकर (Politics on ERCP) लगाए गए आरोपों का उचित मंच और समय पर जवाब देगा. जनता को जागृत भी करेगा. हाल ही में पूर्वी राजस्थान से जुड़े बीजेपी नेता पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों की इसी सिलसिले में बैठक रखी गई थी. जिसमें परियोजना के सभी पहलुओं को विस्तार से समझाया गया. साथ ही यह भी बताया गया है कि कांग्रेस के आरोपों का (BJP Rajasthan President Counter Attack on Congress) किस तरह से जवाब देना है.
ईआरसीपी प्रोजेक्ट अटकने के यह हैं बड़े कारण : केंद्र में भाजपा की सरकार और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होना ही एक बड़ा कारण है कि प्रदेश में ईस्टर्न राजस्थान केनाल परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. हालांकि, इस पर सियासत खूब हो रही है, लेकिन तीन ऐसे मुद्दे हैं जिसके चलते यह प्रोजेक्ट लंबे अरसे से अटका हुआ है.
- पहला मामला नदियों के पानी के उपयोग की डिपेंडेबिलिटी है- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कई बार कह चुके हैं कि नदियों के पानी के उपयोग की डिपेंडेबिलिटी राष्ट्रीय परियोजना के लिए कम से कम 75 फीसदी होना चाहिए. लेकिन ईआरसीपी की डीपीआर में यह 50 फीसदी ही रखी गई है.
- मध्य प्रदेश से एनओसी से जुड़ा मसला दूसरा बड़ा कारण है- मध्य प्रदेश से आने वाली नदियों के पानी के उपयोग के लिए एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) अभी तक नहीं मिल सका है. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि मध्य प्रदेश को लगता है कि राजस्थान उनके हिस्से का भी पानी ले लेगा.
- इंटरस्टेट विवाद पर केंद्र का दखल तीसरा बड़ा कारण है- अंतर राज्य विवादों को केंद्र के साथ बैठकर हल किया जाता है. लेकिन राजस्थान ईस्टर्न कैनाल परियोजना में कई बैठकों के बाद भी इसका समाधान नहीं हो पाया. पेच 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर अटका है.
प्रोजेक्ट की लागत पहुंची 70 हजार करोड़ पर : राजस्थान ईस्टर्न कैनाल परियोजना प्रोजेक्ट की लागत शुरुआत में 37 हजार 200 करोड़ रुपए की थी. लेकिन जिस तरह से इसमें लगातार देरी हो रही है, उसके बाद अब इसकी लागत 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है.
कांग्रेस बोली केंद्र की मानी तो किसान सिंचाई से वंचित रहेंगे : कांग्रेस का यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार जो संशोधित डीपीआर इस प्रोजेक्ट की मांग रहा है. यदि उस पर अमल किया गया तो पूर्वी राजस्थान में 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मिलने वाली सिंचाई सुविधा से किसानों को वंचित रहना पड़ेगा. राजस्थान का हाल बुंदेलखंड जैसा हो जाएगा. गहलोत सरकार परियोजना को प्रदेश के 13 जिलों में पेयजल, सिंचाई,उद्योग के लिए जल आवश्यकता की पूर्ति को देखते हुए ही तैयार करने की बात कह रही है.
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ईआरसीपी भी राजस्थान के लिए साबित होगी जीवनदायिनी : राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना जीता जागता उदाहरण है. जिसके जरिए पश्चिमी राजस्थान के 7 जिलों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है. वहीं, नहरी क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर बढ़ने से इसका फायदा पेयजल के लिए भी होता है. पश्चिमी राजस्थान के श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर जैसलमेर, जोधपुर, चूरू, नागौर, बाड़मेर, झुंझुनू और सीकर जिले में यह परियोजना किसी जीवनदायिनी परियोजना से कम नहीं है.
वहीं, राजस्थान ईस्टर्न कैनाल परियोजना प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र के 13 जिलों के लिए जीवनदायिनी योजना साबित हो सकती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इस प्रोजेक्ट पर केंद्र और राज्य मिलकर काम करें और आपसी समन्वय के साथ इसे शुरू पुरा किया जाए. ईआरसीपी शुरू होने पर प्रदेश के जयपुर, अजमेर, टोंक, बूंदी, कोटा, बारां, झालावाड़, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर और दौसा जिले को फायदा मिलेगा. माना जा रहा है कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना की तरह ईस्टर्न कैनाल परियोजना पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए यह जीवनदायिनी ही साबित होगी.