जयपुर. साल 2021 (Year 2021 And Rajasthan Congress Challenges) समाप्त होने जा रहा है. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो भले ही साल 2021 में कैबिनेट पुनर्गठन संगठन में नियुक्तियों जैसी कई चुनौतियों से कांग्रेस पार्टी ने पार पाने में कामयाबी पाई है, लेकिन साल 2022 में भी कांग्रेस पार्टी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने चुनौतियों का अंबार (Rajasthan Congress Challenges Ahead) लगा हुआ है. 2023 में पार्टी चुनावी साल में प्रवेश कर जाएगी ऐसे में संगठन को मजबूत करना और चुनाव के लिए तैयारी करने का साल 2022 ही होगा.
3 साल में भी नहीं मिली कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियां
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने साल 2022 की सबसे बड़ी चुनौती अगर कोई है तो वह है कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए राजनीतिक नियुक्तियां. गहलोत सरकार के 3 साल पूरे हुए और वह अपने चौथे साल में प्रवेश कर गई है, लेकिन जिस कार्यकर्ता ने अपना खून पसीना बहा कर पार्टी को चुनाव में जीतवाया था उसके हाथ अब तक खाली हैं. ऐसे में अब राजनीतिक नियुक्तियों के लिए केवल 2 साल का ही समय बचा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को संगठन के उस मजबूत कार्यकर्ता को सरकार में हिस्सेदारी दिलवाने की चुनौती होगी जो काम 3 साल से अपने लिए राजनीतिक नियुक्तियों की बाट जोह रहा है.
Rajasthan Congress Challenges Ahead पढ़ें- Rajasthan Year Ender 2021 : गोविंद सिंह डोटासरा के लिए बेहतरीन रहा यह साल..4 उपचुनाव और पंचायत चुनाव में मिली बंपर जीत
पढ़ें- उपचुनाव के रण में कांग्रेस चैंपियनः सहानुभूति और जमीनी रणनीति ने पहनाया जीत का ताज...BJP गुटबाजी के बीच अंदरखाने विरोध में हारी
गुटबाजी का खतरा टला नहीं, बिना ओहदे के सचिन पायलट
वर्तमान गहलोत सरकार और कांग्रेस संगठन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अगर कोई पेश हुई है तो वह है कांग्रेस की ही आपसी गुटबाजी. भले ही साल 2020 में राजस्थान में जो राजनीतिक उठापटक हुई थी साल 2021 उसका शांति काल रहा. लेकिन यह शांति कब तक कायम रहेगी ये कोई कह नहीं सकता. भले ही सचिन पायलट गुट के 4 विधायकों को मंत्री बना दिया गया हो लेकिन अब भी सचिन पायलट से जुड़े कार्यकर्ता अपने लिए राजनीतिक पद चाहते हैं.
ऐसे में सचिन पायलट कैंप के नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों (Sachin Pilot Camp) और संगठन में एडजस्ट करना अपने आप में बड़ी चुनौती होगा. इसके साथ ही भले ही सचिन पायलट अपने लिए किसी पद की मांग नहीं कर रहे हो लेकिन जब तक सचिन पायलट खाली हाथ रहेंगे तब तक राजस्थान में गुटबाजी समाप्त नहीं हो सकती है. ऐसे में कांग्रेस संगठन चाहेगा कि उन्हें दिल्ली में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल जाए.
पढ़ें- Dotasra in Delhi: मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद अब डोटासरा अपनी टीम विस्तार करने में जुटे,सोनिया गांधी से की मुलाकात
संगठन का विस्तार
राजस्थान कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती (Rajasthan Congress Challenges Ahead) और है. संगठन के विस्तार में सभी गुटों के नेताओं को साथ में लेकर कैसे राजस्थान कांग्रेस का विस्तार किया जाए, क्योंकि 2022 से ही संगठन को आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के हिसाब से खड़ा करना होगा. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी पूरी टीम की आवश्यकता भी होगी ,ऐसे में राजस्थान कांग्रेस की सभी धूरियों को एक साथ मिलाकर कैसे संगठन का विस्तार किया जाए यह भी एक बड़ी चुनौती राजस्थान कांग्रेस संगठन और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने होगी.