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'जवाहरलाल नेहरू और भारत संकल्पना' विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का हुआ आयोजन

जयपुर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की 56वीं पुण्यतिथि पर राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग और राजस्थान साहित्य अकादमी की तरफ से गुरुवार को 'जवाहरलाल नेहरू और भारत संकल्पना' विषयक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया.

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जयपुर में पंडित नेहरू की पुण्यतिथि पर आयोजित हुई ऑनलाइन परिचर्चा

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Published : May 28, 2020, 8:34 AM IST

जयपुर. पंडित जवाहरलाल नेहरू की 56वीं पुण्यतिथि पर राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग और राजस्थान साहित्य अकादमी की तरफ से गुरुवार को 'जवाहरलाल नेहरू और भारत संकल्पना' विषयक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें लोगों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू न केवल आधुनिक भारत के निर्माता हैं. बल्कि, भारत ही नहीं समूचे विश्व के लिए वे विचारधारा और सोच हैं जो, हमेशा प्रासंगिक और अनुकरणीय रहेगी. इसलिए उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास कभी सफल नहीं हो सकते हैं, क्योंकि किसी महान विचार को कभी खत्म नहीं किया जा सकता.

जयपुर में पंडित नेहरू की पुण्यतिथि पर आयोजित हुई ऑनलाइन परिचर्चा

इस ऑनलाइन परिचर्चा में कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ बी.डी. कल्ला ने पंडित नेहरू को श्रदांजलि देते हुए कहा कि, वे जहां आजादी के आंदोलन के प्रणेता थे. वहीं, आजादी के बाद के आधुनिक भारत के निर्माता भी हैं. स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू परिवार की तीन पीढ़ी मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और इंद्रा गांधी के योगदान को भूलना अकृतज्ञता है. पंडित नेहरू के महान योगदान के प्रति आज राष्ट्र विभिन्न आयोजनों के माध्यम से कृतज्ञता प्रकट कर रहा है.

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साथ ही उन्होंने कहा कि, पंडित नेहरू ने एक तरफ जहां, कई बड़े कल कारखानों, जल और बिजली परियोजनाओं को स्थापित किया. वहीं, समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास को भी ध्यान में रख योजना लागू की. वो मिश्रित अर्थव्यवस्था, सत्ता के विकेंद्रीकरण, सहकारिता आंदोलन और पंचायती राज के प्रणेता तो हैं ही, साथ ही सबके लिए शिक्षा, किसानों और समाज के अंतिम व्यक्ति के विकास के प्रति समर्पित रहे. उन्होंने, इन नीतियों को लागू करने के लिए कई परियोजनाएं स्थापित की और लागू भी की.

परिचर्चा में प्रोफेसर राजीव गुप्ता ने कहा कि, नेहरू के आजादी के आंदोलन में योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता. नेहरू का मानना था कि, स्वतंत्रता महज सत्ता का हस्तांतरण नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का घोतक है. गुप्ता ने 1910 में अंग्रेज सरकार के 'हिंद स्वराज' को बंद करने के फैसले का उदाहरण देते हुए उसकी तुलना वर्तमान में वाट्सऐप पर हो रहे नेहरू के प्रति दुष्प्रचार से की. उन्होंने कहा कि, आज कुछ लोगों को लगता है कि, जब तक नेहरू लोगों के जेहन में बने रहेंगे, ये लोग अपना एजेंडा लागू नहीं कर सकेंगे.

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