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Special: Corona के बीच 'समर्थ' का नाम हुआ सार्थक, वो नहीं लेकिन उसके नंबर बने हजारों जरूरतमंदों के मददगार

हमेशा लोगों के सुख दुख में साथ रहने वाला समर्थ आज भले ही इस दुनिया में ना हो. लेकिन आज भी उसका नाम लोगों के लिए मददगार साबित हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान समर्थ हेल्पलाइन हजारों लोगों को मदद पहुंचाने का काम कर रही है. देखें ईटीवी भारत की स्पेशल स्टोरी...

समर्थ HELPLINE,  Samarth helpline providing food to people
समर्थ HELPLINE के जरिए लोगों की मदद कर रहीं निशा सिद्धू

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Published : Apr 12, 2020, 5:06 PM IST

जयपुर.वो गरीबों का हमदर्द बनता था, वो जब था तो लोगों के दर्द बांटता, किसी भूखे को खाना खिलाता. लेकिन आज इस दुनिया में नहीं होकर भी वो हजारों लोगों की भूख मिटा रहा है. ये कहानी है समर्थ सिंह सिद्धू की.

समाजिक कार्यकर्त्ता निशा सिद्धू का इकलौता बेटे समर्थ सिद्धू, वैसे तो समर्थ आर्टिस्ट था. लेकिन समाजसेवी के तौर पर उसकी अलग ही पहचान थी. जब कभी वो किसी जरूरतमंद को परेशानी में देखता तो पूरी लगन के साथ उसकी मदद में लग जाता.

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अपनी पगड़ी के जरिए अलग पहचान के साथ रहने वाले समर्थ की बड़ी फैन फॉलोइंग थी. लेकिन कुछ दिनों पहले ही उसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. जवान इकलौते बेटे की मौत ने सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू और पिता तारा सिंह को पूरी तरह से तोड़ दिया.

समर्थ HELPLINE के जरिए लोगों की मदद कर रहीं निशा सिद्धू

लेकिन इस दौरान देश में आए कोरोना संकट ने गरीबों और मजदूरों के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया. ऐसे में समर्थ की मां को लगा कि इस वक्त अगर समर्थ होता तो वो इस संकट की घड़ी में लोगों का सहारा बन कर खड़ा रहता.

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संकट की इस घड़ी में निशा सिद्धू ने अपने आप को संभाला और पुत्र समर्थ के नाम से समर्थ हेल्पलाइन शुरू की. साथ ही अब हर दिन जयपुर में रोजाना सैकड़ों जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने का बीड़ा उठा रखा है. निशा बताती हैं कि उनका बेटा समर्थ होता, तो इस समय वह भी लोगों की मदद के लिए निकल पड़ता.

यही वजह है कि हमने उसकी याद में दुखी होने की बजाए उसकी याद को चिरस्थायी और सार्थक करने का मकसद बनाया है. समर्थ के नंबर को हेल्पलाइन के रूप में प्रचार किया. जिससे जिस किसी को भी इस लॉकडाउन के दौरान दिक्क्त हो वो इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर सके.

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समर्थ हेल्पलाइन के जरिए जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाया जाता है. फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप पर हर जगह ये काम कर रही है. इस काम में समर्थ के दोस्त भी निशा की मदद कर रहे हैं. इस टीम में शामिल सुमित्रा चोपड़ा, राहुल चौधरी, मीनाक्षी और ईशा शर्मा भी जरूरतमंदों की कवायद में लगे हुए हैं. सुमित्रा चोपड़ा बताती हैं कि समर्थ हेल्पलाइन पर हर दिन सैकड़ों कॉल सहायता के लिए आ रहे हैं. इस हेल्प लाइन के जरिए जरूरतमंदों तक भोजन पहुंच रहा है.

कोरोना महामारी के चलते मानवता पर संकट छाया है. सरकार की ओर से किए जा रहा प्रयास भी कई जगह नाकाफी साबित हो रहे हैं. ऐसे में समर्थ हेल्पलाइन लोगों के लिए आशा की किरण बन कर सामने आई है. आज भले ही समर्थ इस दुनिया में ना हो लेकिन उसके नाम से लोगों को मदद जरूर पहुंच रही है.

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