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वार्ड पार्षद और निकाय प्रमुख चुनाव में 1 सप्ताह का अंतर, भाजपा को खरीद-फरोख्त का डर

प्रदेश में निकाय चुनाव से ठीक पहले भाजपा को डर सता रहा है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस निकायों में अपने प्रमुख बनवाने के लिए बड़े स्तर पर पार्षदों की खरीद-फरोख्त कर सकती है.

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Published : Oct 30, 2019, 6:12 PM IST

जयपुर. प्रदेश में निकाय चुनाव से ठीक पहले विपक्ष में बैठी भाजपा को एक डर सता रहा है. ये डर है निकाय प्रमुख चुनाव से पहले पार्षदों की खरीद-फरोख्त का. दरअसल इस बार वार्ड पार्षदों के चुनाव परिणाम आने के एक हफ्ते बाद निकाय प्रमुख और उप प्रमुख के चुनाव किए जा रहे हैं.

कांग्रेस कर सकती है पार्षदों की खरीद-फरोख्त

ऐसे में विपक्षी भाजपा नेताओं को डर है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस निकायों में अपने प्रमुख बनवाने के लिए बड़े स्तर पर पार्षदों की खरीद-फरोख्त कर सकती है. इसीलिए सरकार ने इस बार पार्षदों के चुनाव के एक सप्ताह बाद निकाय प्रमुख के चुनाव करवा रही है. ताकि खरीद-फरोख्त के लिए कांग्रेस को पूरा समय मिल सके.

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार उत्तर प्रदेश में वार्ड पार्षदों के चुनाव परिणाम सामने आने के बाद दूसरे दिन ही निकाय प्रमुख और उप प्रमुख के चुनाव होते थे. लेकिन इस बार कांग्रेस ने इसमें अपने राजनीतिक फायदे के लिए यह बदलाव करवा दिया, जिससे सत्तारूढ़ कांग्रेस को पार्षदों को डराने धमकाने और खरीद-फरोख्त करने के लिए 1 सप्ताह का समय मिल जाए.

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पूनिया ने यह भी कहा कि प्रदेश में जिसकी सरकार होती है उसको पार्षदों को डराने धमकाने और खरीद-फरोख्त करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती है और कांग्रेस इसमें माहिर है.
वर्तमान में प्रदेश में उन 49 निकायों में चुनाव होने हैं और इनमें भाजपा और कांग्रेस की स्थिति बराबर की है. दोनों ही दलों के पास 21- 21 निकायों पर कब्जा है. वहीं बाकी निकायों पर निर्दलीय और अन्य दलो का कब्जा है.अब भाजपा को इसी बात का डर है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए निकाय चुनाव में निकाय प्रमुख बनाने में भाजपा से आगे ना चले जाएं.

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