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सदन में मदन दिलावर और सुभाष पूनिया ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल

राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को शून्यकाल के दौरान विधायक मदन दिलावर और सुभाष पूनिया ने राजस्थान पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए. इन दोनों ही विधायकों ने शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के जरिए अपने अपने क्षेत्र से जुड़े मामले सदन में रखे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.

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Published : Mar 18, 2021, 4:11 PM IST

मदन दिलावर और सुभाष पूनिया, Rajasthan Legislative Assembly Proceedings
मदन दिलावर और सुभाष पूनिया

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को शून्यकाल के दौरान विधायक मदन दिलावर और सुभाष पूनिया ने राजस्थान पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए. इन दोनों ही विधायकों ने शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के जरिए अपने अपने क्षेत्र से जुड़े मामले सदन में रखे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.

सदन में बोले मदन दिलावर और सुभाष पूनिया

भाजपा विधायक मदन दिलावर ने कहा कि सरकार ने पुलिस को महिलाओं की इज्जत लूटने की पूरी छूट दे रखी है. पुलिसकर्मियों में होड़ मची है कि कौन कितनी बहादुरी से महिलाओं की इज्जत लूटता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार में इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वह ऐसे पुलिसकर्मियों की तरफ नजर टेढ़ी भी कर सके. मदन दिलावर ने सदन में इस दौरान यह भी कहा कि अलवर और जयपुर सहित कुछ जगहों पर पिछले दिनों ऐसी कई घटनाएं हुईं हैं, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती हैं.

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दिलावर ने साल 2019 थानागाजी में गैंगरेप की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस ने घटना दबा दिया था, लेकिन बाद में जब वीडियो वायरल हुआ तब कहीं जाकर पुलिस हरकत में आई. जयपुर में आरपीएस अधिकारी की ओर से महिला से अस्मत मांगने की घटना का भी जिक्र किया और साथ ही ऐसी कई घटनाएं गिनाईं जो पिछले दिनों राजस्थान में महिला अपराधों से जुड़ी थी. दिलावर ने कहा कि इन घटनाओं से साफ है कि प्रदेश सरकार महिला अपराधों को गंभीरता से नहीं लेती है.

सुभाष पूनिया ने दुष्कर्मी के साथ थानाधिकारी का फोटो सदन में लहराया

वहीं, शून्य काल के दौरान विधायक सुभाष पूनिया ने भी अपराधियों और पुलिस की गठजोड़ को लेकर सवाल खड़े किए. पूनिया ने हाल ही में झुंझुनू में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के बाद 17 दिन के भीतर न्यायालय की ओर से अपराधी को दी गई फांसी की सजा की तो तारीफ की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में एक दलित से दुष्कर्म किया गया और जब थाने में पीड़ित पक्ष गया तो थाना अधिकारी ने एफआईआर दर्ज ही नहीं की, लेकिन जब उच्च अधिकारियों का दबाव पड़ा तो 1 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई और फिर आरोपी को गिरफ्तार किया गया.

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इस दौरान सुभाष पूनिया ने सदन में एक पोस्टर भी लहराया, जिसमें थाना अधिकारी की आरोपी के साथ फोटो थी. साथ ही यह भी कहा कि पुलिस अधिकारी ने एफआईआर इसीलिए दर्ज नहीं की, क्योंकि वह अपराधी को पहले से जानता था. उन्होंने कहा कि जब अपराधी पुलिसकर्मियों का गुणगान करेंगे, तो पुलिस उनके ऊपर कार्रवाई क्यों करेगी. सुभाष पूनिया ने सरकार से मांग की कि ऐसे पुलिस अधिकारियों को फील्ड में से हटाकर लाइन हाजिर किया जाए.

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