जयपुर.सावन का महीना, रिमझिम बारिश रोमांटिक मौसम. गीतकारों और शायरों ने रिमझिम फुहारों पर अनेक गीतों की रचना करके प्यार के विभिन्न रूपों को खूबसूरती दी है. हरियाली की चादर ओढ़े जहां धरती सजती है, वहीं सावन में महिलाओं के लिए लहरिए सज जाते हैं. भारतीय संस्कृति में लहरिए का बहुत महत्व है. ये सौभाग्य और सुकून का प्रतीक माने जाते हैं. सावन में पहने जाने वाले लहरिये में हरा रंग शुभ माना जाता है. इस हरे रंग को प्रकृति के उल्लास से भी जोड़ा गया है. राजस्थान में आज भी राजसी-घरानों से लेकर आम परिवारों तक लोक संस्कृति की पहचान लहरिया के रंग बिखेरे हुए हैं.
मान्यता है कि जब सावन में महिलाएं कच्चे रंग का लहरिया ओढ़कर जाती हैं और पानी बरसता है, तो उसका रंग यदि विवाहिता की मांग में उतरता है, तो उसे बेहद शुभ माना जाता है. हमारी संस्कृति में यह रिवाज है कि बहू-बेटियों की मान मनुहार के लिए उन्हें लहरिया लाकर दिया जाता है. हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं की पहली पसंद ही लहरिया होती है.
हरियाली तीज का महत्व
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. जिस कारण इस दिन का खास महत्व माना जाता है. इसे छोटी तीज या श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं. ये खास त्योहार इस बार 23 जुलाई को है.
पहले जहां तीज और विशेष मौके पर ही लहरिया को पहना जाता था, लेकिन अब रूटीन में भी युवतियां और महिलाएं लहरिया पहनती हैं, क्योंकि इसका क्रेज सबसे ज्यादा है. तीज के नजदीक वस्त्र विक्रेताओं की लहरियां से सजी दुकानें ऐसे मोहक चित्र प्रस्तुत करती हैं. जैसे वो कोई व्यापारिक फर्म नहीं, बल्कि कला दीर्घा हो.
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लहरिया विक्रेता बताते हैं कि सावन के लिए बाजार में कई वैरायटी और अलग-अलग रंगों में लहरिया की साड़ियां, सूट और ओढ़नी आ जाते हैं. जितनी बारीक बंधेज हो लहरिए की कीमत उतनी ज्यादा हो जाती है. सावन महीने में लहरिया की मांग बढ़ गई है. प्योर जार्जेट के लहरिए की साड़ियों की मांग भी काफी है, जबकि मल्टीकलर और डिजाइनर लहरिए सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं.
कोरोना की वजह से थोड़ा-बहुत हो रहा घाटा
वहीं कोरोना महामारी का असर लहरिया विक्रताओं पर भी पड़ा है. जहां पहले तीज त्यौहार के समय बाजार में महिलाओं की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार इतना क्रेज नहीं है. इसके अलावा कुछ महिलाएं मास्क लगा और सैनिटाइजर लिए दुकानों तक जरूर पहुंच रही हैं.
ये है लहरिए की कीमत
इस बार लहरिए की साड़ी 600 रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक और प्योर जार्जेट व प्योर शिफॉन लहरिये की साड़ी 4 हजार रुपए तक में आ रही है. अभी विस्कोस शिफॉन की लहरिये की साड़ियां सबसे ज्यादा प्रचलन में है. वहीं लहरिए की कुर्तियां भी ज्यादा सेल हो रही हैं.