नई दिल्ली: पुलिस जिस तरीके से आतंकियों पर एक्शन लेती है, इसे लेकर अब आतंकी भी हमले का तरीका बदल रहे हैं. पहले जहां ग्रुप बनाकर आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जाता था, तो वहीं अब लोन वुल्फ अटैक का चलन बढ़ रहा है. इसके लिए विशेष प्रशिक्षण देकर ऐसे आतंकी तैयार किये जा रहे हैं, जो अकेले ही साजिश से लेकर आतंकी हमले को अंजाम दे सके. ऐसा करने से उनके पकड़े जाने की संभावना बेहद कम हो जाती है.
जानकारी के अनुसार कुछ वर्ष पहले तक देशभर में होने वाले हमलों में आतंकी हमलों में ग्रुप बनाकर आतंकवादी काम करते थे. रेकी करने से लेकर बम तैयार करने और उसे किसी जगह पर रखने जैसे काम को अलग-अलग आतंकी द्वारा किया जाता था. खासतौर से इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने इस तरह के कई हमलों को अंजाम दिया और भारत के विभिन्न हिस्से में लोगों की जान ली. ऐसे मामलों की जांच करने के दौरान विभिन्न जांच एजेंसियों को सुराग भी मिले और इंडियन मुजाहिदीन के विभिन्न स्लीपर सेल का पर्दाफाश हो गया. इसके बाद से एक नए ट्रेंड के तहत आतंकी तैयार किए जा रहे हैं, जो लोन वुल्फ हमले करते हैं.
जानिए क्या होता है लोन वुल्फ हमला कैसे होता है लोन वुल्फ आतंकी हमला
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि देशभर में लोन वुल्फ हमले का प्रचलन बढ़ रहा है. खासतौर से आईएसआईएस अपना नाम बढ़ाने के लिए लोन वुल्फ हमलों का सहारा ले रहा है. इसके तहत एक ही शख्स को पूरे हमले की जिम्मेदारी दी जाती है. बम बनाने से लेकर रेकी करना और हमले को अंजाम देना एक ही शख्स द्वारा किया जाता है. इसके लिए बकायदा उसे कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है. बीते शनिवार को स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किया गया. संदिग्ध आतंकी मोहम्मद मुस्तकीम उर्फ यूसुफ भी लोन वुल्फ हमले के लिए आया था. उसने खुद अपने घर में आईईडी तैयार की और उसे प्रेशर कुकर में रखकर दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में विस्फोट करने के लिए आ पहुंचा. उसने इसके बाद फिदायीन हमले के लिए भी सुसाइड बेल्ट तैयार कर रखी थी.
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पकड़े जाने की संभावना हो जाती है कम
सेवानिवृत्त एसीपी वेद भूषण ने बताया कि आमतौर पर ग्रुप में जब कोई अपराध किया जाता है, तो उसमें गलती होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में अपराधी के पकड़े जाने का खतरा भी रहता है. इसके चलते ही पिछले कुछ समय में ऐसा देखा जा रहा है कि आतंकी संगठन लोन वुल्फ हमले के लिए आतंकवादी को तैयार करते हैं. ऐसा करने पर उसके पकड़े जाने का खतरा कम होता है और अगर वह पकड़ा भी जाए तो उसके माध्यम से पूरे नेटवर्क का पता लगाना आसान नहीं होता. आतंकी संगठन आईएसआईएस लोन वुल्फ हमले को सबसे ज्यादा बढ़ावा दे रहा है.