जयपुर. 15 मई विश्व भर में इंटरनेशनल कंगारू केयर अवेयरनेस डे के रूप में मनाया जाता है. कंगारू मदर केयर तकनीक ऐसे बच्चों के लिए संजीवनी का काम कर रही है जो समय से पहले पैदा हो रहे हैं, जिन्हें प्रीमेच्योर कहा जाता (Kangaroo Mother Care method for premature babies) है. ऐसे बच्चों का वजन कम होता है, जिसके बाद इन बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए उन्हें कंगारू मदर केयर की आवश्यकता होती है. इस तरह के बच्चों को आमतौर पर वेंटिलेटर से लेकर वार्मर तक की जरूरत होती है, लेकिन मां का स्पर्श उनके लिए वेंटिलेटर और वार्मर का काम करता है.
कंगारू मदर केयर कम वजन के बच्चों की वृद्धि और विकास में मदद करती है. आमतौर पर कंगारू मदर केयर सिर्फ मां ही नहीं बल्कि घर का कोई भी सदस्य दे सकता है. इस बारे में जयपुर की जनाना अस्पताल की अधीक्षक डॉ पुष्पा नागर का कहना है कि हाल ही में जयपुर के जनाना अस्पताल में एक 700 ग्राम वजन की बच्ची पैदा हुई थी. उसकी मां ने उसे कंगारू मदर केयर के माध्यम से नई जिंदगी दी है. आंकड़ों की बात करें तो विश्व में लगभग 10 में से 1 बच्चा प्रीमेच्योर पैदा होता है. चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर प्रीमेच्योर बच्चों को हाइपोथर्मिया का खतरा होता है. कंगारू मदर केयर तकनीक से मां बच्चे को सीने से चिपकाकर रखती है, जिससे उसे गर्माहट मिलती है. ऐसे में बच्चे को निमोनिया और पीलिया का खतरा लगभग खत्म हो जाता है.
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