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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष: जयपुर की 550 महिलाएं लिख रहीं हैं नई इबारत, उम्मीदों की सड़कों पर 'जिंदगी के चार पहिए' पकड़ रहे रफ्तार

जयपुर की आधी आबादी (Mahila Diwas 2022) ने एक नई इबारत लिखी है. चार पहियों ने इनकी जिन्दगी बदल दी है. सशक्त हैं, आत्मर्निभर हैं, जानती हैं कि कब, कैसे और कहां जीवन को रफ्तार देनी है. ये ड्राइवर्स हैं जो इस पेशे में अपना सिक्का जमा चुकी (Jaipur Women Driving cars) हैं. इनके पंखों को परवाज दी है आजाद फाउंडेशन ने.

Mahila Diwas 2022
जिंदगी के चार पहिए

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Published : Mar 8, 2022, 8:40 AM IST

जयपुर.जयपुर की सड़कों पर दौड़ लगाती महिला ड्राइवर्स (Jaipur Women Driving cars) अपनी सूझबूझ और समर्पण के कारण मिसाल बन गई हैं. 550 से भी ज्यादा महिलाएं पारंगत हो प्रोफेशनल तौर पर खुद को साबित कर रही हैं. जुनून और जज्बा ऐसा कि जो भी मिलता है वो सलाम करता है. सबकी कहानियां ऐसी हैं कि कोई भी आम शख्स इनसे प्रभावित हो अपनी जिन्दगी को नया आयाम दे सकता है.

साइकिल नहीं चलाई, अब हाथों में स्टीयरिंग व्हील: ममता ने अपने हौसलों से अंधेरे में उम्मीदों की नई मंज़िल पा ली है. एक वक्त था जब ममता को कार तो बहुत दूर साइकिल भी नहीं चलानी आती थी. अब वो गुलाबी नगरी की भीड़-भाड़ भरी सड़कों पर फर्राटे से कार दौड़ाती हैं. ड्राइविंग लाइसेंस मिल चुका है और बतौर प्रोफेशनल कार चालक जिंदगी की नई शुरूआत कर चुकी हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष

ममता की कहानी ने 2016 में उस वक्त नया मोड़ लिया जब पारिवारिक कलह के चलते पति से अलग होना पड़ा. दो बेटियों की जिम्मेदारी कन्धों पर आ गई. बेटियां किसी पर बोझ न बनें और उनसे भी अच्छी जिंदगी जी सकें इसके लिए नाउम्मीदगी के अंधेरों से निकल ममता ने हाथों में स्टीयरिंग व्हील थाम (Jaipur Women With Steering Wheels) लिया.

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'ड्राइवर होने पर गर्व': ममता कहती हैं कि परिस्थितियां बहुत अलग थी इस लिए इस लाइन में आए. गर्व है कि मैं एक ड्राइवर हूँ और अपनी दोनों बेटियों को अच्छी जिंदगी दे रही हूं. कभी ये सोचा नहीं था कि में कभी उस पेशे में काम करुंगी जहां महिलाओं के लिए ज्यादा स्कोप नहीं था. आज अच्छा लगता है जब मर्दों से घिरे इस पेशे में काम करती हूं. ममता कहती हैं कि कई बार क्लाइंट हमें एप्रीसेट करता है तो खुशी होती है. अपनी इस कामयाबी का सेहरा वो आजाद फाउंडेशन को देती हैं जिसने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की.

पुरुषवादी मानसिकता को तोड़ना जरूरी है: आजाद फाउंडेशन (Azad Foundation Jaipur ) की प्रोग्राम डायरेक्टर अनीता माथुर बताती हैं कि आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं. दुख की बात है कि हमारे समाज ने उसमें भी महिलाओं के लिए एक दायरा सीमित कर दिया. पुरुषवादी मानसिकता वाले समाज में महिलाओं को अब तक रोजगार के कई क्षेत्रों से दूर रखा गया है.

पुरूषों को इस बात का गुरूर है कि रोजगार (Jaipur Women Driving Training) के इन क्षेत्रों पर उनका एकाधिकार है. पुरुष वर्चस्व के कारण महिलाओं को भी इन क्षेत्रों में उतरना मुश्किल लगता था. लेकिन, पिछले कुछ सालों से यह परंपरा दरकने लगी है. आज आजाद फाउंडेशन जो की गैर सरकारी संस्था है उसने जयपुर में 550 से ज्यादा महिलाओं को न केवल प्रोफेशनल ड्राइवर बनाया बल्कि उन्हें नौकरी भी दी .

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2013 में हुई शुरुआत: अनीता माथुर बताती हैं- आजाद फाउंडेशन वैसे तो 2008 से ही गरीब और बेसहारा महिलाओं को न केवल कार चलाने का प्रशिक्षण दे रहा है बल्कि एक प्रोफेशनल ड्राइवर की नौकरी दिलाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहा है. राजस्थान में इसकी शुरुआत 2013 में हुई. उस वक्त कोटा, बीकानेर अजमेर और जयपुर में महिलाओं को प्रोफेशनल ड्राइवर बनाने के प्रोत्साहित किया.

पहला बैच 13 युवा महिलाओं का है, जिसने जनवरी 2014 के पहले हफ्ते में अपना प्रशिक्षण पूरा किया. अनीता माथुर ने बताया कि जयपुर में इन 8 से 9 सालों में 550 से ज्यादा महिलाओं और बालिकाओं को प्रोफेशनल ड्राइवर बना कर रोजगार उपलब्ध कराया है.

नौकरी भी उपलब्ध कराते हैं: अनीता माथुर बताती हैं- ऐसा नहीं है कि इन महिलाओं को सिर्फ ड्राइवर का ही कोर्स कराया जाता है . बल्कि आजाद फाउंडेशन का सखा कैब्स फॉर वुमन से कोलोब्रेशन है जिसमे इन महिलाओं को नौकरी दी जाती हैं. यहां सिर्फ महिला कैब ड्राइवर को ही नौकरी दी जाती है.

सखा के जरिए हम किसी प्राइवेट कंपनी में महिला ड्राइवर की जरूरत है या किसी महिला को कुछ घंटे के महिला ड्राइवर चाहिए तो उसके जरिये उन्हें वो फैसिलिटी भी प्रोवाइड करवाते हैं. अनीता बताती है कई संस्थाएं हैं जो महिलाओं को कुछ काम सिखाती है उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लेकिन जब तक उनके लिए रोजगार उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे तब तक सीखने का कोई मतलब नहीं है.

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शुरू किया टैक्सी का बिजनेस: अनीता बताती है आजाद फाउंडेशन (Azad Foundation Jaipur ) के जरिये ड्राइविंग सीखने के बाद कई महिलाएं अपनी टैक्सी सेवा शुरू करवा रही हैं. इन्फेक्ट दो तीन महिलाओं ने तो अपनी खुद की कामोनी बना ली जिसमे और साथी दूसरी महिलाओं को टैक्सी ड्राइवर की जॉब देती हैं .

अब टू व्हीलर पर जोर:अनीता माथुर ने कहा कि कोरोना संक्रमण के वक्त इन महिलाओं के आगे एक बार के लिए रोजगार का संकट आ गया. टैक्सी नहीं चल रही थी ऐसे में ये कैसे अपने परिवार का लालन पालन करें ये बड़ा सवाल था. उसके बाद ये तय किया की महिलाओं को टैक्सी ड्राइविंग के साथ दो पहिया वहां भी चलाना सिखाएं और उन्हें डिलीवरी सर्विसेज से जोड़ें. अब फाउंडेशन महिलाओं को टू व्हीलर की ट्रेनिंग दे रहा है ताकि विलल्प खुला रहे.

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