जयपुर.जयपुर की सड़कों पर दौड़ लगाती महिला ड्राइवर्स (Jaipur Women Driving cars) अपनी सूझबूझ और समर्पण के कारण मिसाल बन गई हैं. 550 से भी ज्यादा महिलाएं पारंगत हो प्रोफेशनल तौर पर खुद को साबित कर रही हैं. जुनून और जज्बा ऐसा कि जो भी मिलता है वो सलाम करता है. सबकी कहानियां ऐसी हैं कि कोई भी आम शख्स इनसे प्रभावित हो अपनी जिन्दगी को नया आयाम दे सकता है.
साइकिल नहीं चलाई, अब हाथों में स्टीयरिंग व्हील: ममता ने अपने हौसलों से अंधेरे में उम्मीदों की नई मंज़िल पा ली है. एक वक्त था जब ममता को कार तो बहुत दूर साइकिल भी नहीं चलानी आती थी. अब वो गुलाबी नगरी की भीड़-भाड़ भरी सड़कों पर फर्राटे से कार दौड़ाती हैं. ड्राइविंग लाइसेंस मिल चुका है और बतौर प्रोफेशनल कार चालक जिंदगी की नई शुरूआत कर चुकी हैं.
ममता की कहानी ने 2016 में उस वक्त नया मोड़ लिया जब पारिवारिक कलह के चलते पति से अलग होना पड़ा. दो बेटियों की जिम्मेदारी कन्धों पर आ गई. बेटियां किसी पर बोझ न बनें और उनसे भी अच्छी जिंदगी जी सकें इसके लिए नाउम्मीदगी के अंधेरों से निकल ममता ने हाथों में स्टीयरिंग व्हील थाम (Jaipur Women With Steering Wheels) लिया.
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'ड्राइवर होने पर गर्व': ममता कहती हैं कि परिस्थितियां बहुत अलग थी इस लिए इस लाइन में आए. गर्व है कि मैं एक ड्राइवर हूँ और अपनी दोनों बेटियों को अच्छी जिंदगी दे रही हूं. कभी ये सोचा नहीं था कि में कभी उस पेशे में काम करुंगी जहां महिलाओं के लिए ज्यादा स्कोप नहीं था. आज अच्छा लगता है जब मर्दों से घिरे इस पेशे में काम करती हूं. ममता कहती हैं कि कई बार क्लाइंट हमें एप्रीसेट करता है तो खुशी होती है. अपनी इस कामयाबी का सेहरा वो आजाद फाउंडेशन को देती हैं जिसने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की.
पुरुषवादी मानसिकता को तोड़ना जरूरी है: आजाद फाउंडेशन (Azad Foundation Jaipur ) की प्रोग्राम डायरेक्टर अनीता माथुर बताती हैं कि आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं. दुख की बात है कि हमारे समाज ने उसमें भी महिलाओं के लिए एक दायरा सीमित कर दिया. पुरुषवादी मानसिकता वाले समाज में महिलाओं को अब तक रोजगार के कई क्षेत्रों से दूर रखा गया है.
पुरूषों को इस बात का गुरूर है कि रोजगार (Jaipur Women Driving Training) के इन क्षेत्रों पर उनका एकाधिकार है. पुरुष वर्चस्व के कारण महिलाओं को भी इन क्षेत्रों में उतरना मुश्किल लगता था. लेकिन, पिछले कुछ सालों से यह परंपरा दरकने लगी है. आज आजाद फाउंडेशन जो की गैर सरकारी संस्था है उसने जयपुर में 550 से ज्यादा महिलाओं को न केवल प्रोफेशनल ड्राइवर बनाया बल्कि उन्हें नौकरी भी दी .