जयपुर. प्रदेश के शासन सचिवालय में सोमवार को प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से औचक निरीक्षण किया गया. बता दें कि इस औचक निरीक्षण में शासन सचिवालय में 71 फीसदी से अधिक कर्मचारी और अधिकारी अनुपस्थित पाए गए. वहीं, शासन सचिवालय के 2 हजार 787 कर्मचारी और 2 हजार अधिकारी अनुपस्थित पाए गए. प्रशासनिक सुधार विभाग ने सोमवार सुबह 9:45 पर सचिवालय के विभिन्न कार्यालयों में औचक निरीक्षण कर लगभग 301 रजिस्टर जब्त किए.
प्रशासनिक सुधार विभाग का औचक निरीक्षण बता दें कि कमर्चारियों और अधिकारी की लेटलतीफी को रोकने के लिए प्रशासनिक सुधार विभाग एक्शन में आ गया है. प्रशासनिक सुधार विभाग की टीम के औचक निरीक्षण से सचिवालय कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. वहीं, लेट आने वाले कर्मचारियों को टीम ने उपस्थिति रजिस्टर पर हाजिरी नहीं करने दिया और रजिस्टर जब्त कर लिया. बता दें कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने 301 रजिस्टर जब्त किए. जिनमें 2 हजार कर्मचारी और अधिकरी अनुपस्थित मिले. वहीं, 728 सचिवालय अधिकारियों में से 520 अधिकारी और 2059 कर्मचारियों में से 1480 कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचे.
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जानकारी के अनुसार प्रशासनिक सुधार विभाग एवं समन्वय विभाग के प्रिंसिपल सेकेट्री आर वेंकटेश्वरन के निर्देश पर शासन सचिवालय के सहायक सचिव अनिल चतुर्वेदी के नेतृत्व में 21 सदस्य की दल ने 7 टीमों में विभाजित होकर औचक निरीक्षण किया. वहीं, अनिल चतुर्वेदी ने बताया कि औचक निरकक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों को समय पर आने के लिए पाबंद करना है. उन्होंने बताया कि लेट आने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
चतुर्वेदी ने बताया कि 2 दिन पहले प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को भी निर्देश दिए थे कि वह दफ्तरों में समय पर नहीं आने वाले कर्मचारी अधिकारियों पर नजर रखने के लिए एक जिला स्तरीय विशेष टीम गठित करें, ताकि टीम देर से दफ्तर वाले और काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी अधिकारियों के ऊपर नजर रख सकें.
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वहीं, अब विभाग की टीम जब्त किए गए रजिस्टर की जांच में लग गई है. दरअसल पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों और कर्मचारियों को यह निर्देश दिए थे कि वह अपने काम की जिम्मेदारी से विमुख नहीं हो. उन्होंने कहा था कि आम जनता के काम को जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें पूरा करें. कोई भी पीड़ित अगर उनके पास किसी भी काम को लेकर आता है तो उसे जिम्मेदारी के साथ पूरा किया जाए. साथ ही सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को मिले, यह भी अधिकारी और कर्मचारी सुनिश्चित करें.