जयपुर.सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस के आदेश को लेकर सरकार अध्ययन करने में जुट गई है. मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना नोटिस की कॉपी अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई है, जैसे ही नोटिस प्राप्त होगी. उसके बाद उसका अध्ययन कर चार सप्ताह में जवाब दिया जाएगा. हालांकि गुप्ता ने कहा कि बजरी खनन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाने के आदेश जारी करवाए थे.
वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने से बढ़ रहे अवैध बजरी खनन के मामले गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने के चलते अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए हैं. जब तक वैध बजरी खनन उपलब्ध नहीं होगी. तब तक इसी तरह से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इनमें माइनिंग डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और पुलिस साथ मिलकर विशेष स्पॉट बनाई गई है. इसके जरिए लगातार खनन माफियाओं के ऊपर शिकंजा भी कसा जा रहा है. यहां तक कि सभी जिला कलेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी एसपी और कलेक्टर को अवैध बजरी खनन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
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इतना ही नहीं कार्रवाई के दौरान जब्त की जाने वाली बजरी को भी नीलामी के जरिए नियमित रूप से करने के आदेश दिए हैं. ताकि लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. मुख्यसचिव ने कहा कि प्रदेश के लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. इसको लेकर चार एक्टर खुद की जमीन वाले किसानों को बजरी के पट्टे लीज पर दिए जा रहे हैं. प्रदेश में अब तक 32 पट्टे जारी की जा चुके हैं. साथ ही 122 प्रार्थना पत्र और प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी स्क्रूटनी की जा रही है. जल्द ही उन्हें पट्टे जारी किए जाएंगे.
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दस्तक संस्था के अध्यक्ष आनंद सिंह जोड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाई थी. इसके बाद पूर्व की वसुंधरा सरकार और मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बजरी खनन पर लगी रोक को हटाने के प्रार्थना पत्र जारी किए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए प्रदेश में अवैध बजरी खनन नहीं होने के निर्देश दिए गए. वहीं पिछले दिनों जिस तरीके से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए. उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी प्रदेश में अवैध बजरी खनन क्यों हो रही है. ऐसे में देखना होगा कि 4 सप्ताह बाद राज्य के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील पेश करते हैं.