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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन बढ़ाने और नियमित करने की योजना बनाए सरकारः बेनीवाल - National democratic party

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायकों के कल्याण के उपाय के लिए लाए गए निजी विधेयक की चर्चा में भाग लिया, जहां उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और आशा सहयोगिनी का वेतन बढ़ाने और नियमित करने की योजना बनाने की बात कही. साथ ही सांसद कोष भी जारी करने की मांग की.

MP Hanuman Beniwal, सांसद हनुमान बेनीवाल
सांसद हनुमान बेनीवाल

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Published : Feb 13, 2021, 11:32 AM IST

जयपुर. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायकों के कल्याण के उपाय के लिए लाए गए निजी विधेयक की चर्चा में भाग लिया, जहां उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और आशा सहयोगिनी का वेतन बढ़ाने और नियमित करने की योजना बनाने की बात कही. साथ ही सांसद कोष भी जारी करने की मांग की.

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बच्चों, महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों के सफल संचालन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. बेनीवाल ने कहा कि कोरोना के संकट में भी स्वास्थ्य विभाग के साथ इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, इसलिए इन्हें नियमित करते हुए मानदेय को मानसिक वेतन में बदलने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार में आंदोलन कर रही आशा सहयोगिनीयों पर मुकदमा दर्ज कर दिए गए, ऐसे में उन मामलों में भी भारत सरकार को दखल देना चाहिए. उन्होंने लोकसभा में एक सवाल के जवाब के हवाले से कहा कि 1 अक्टूबर 2018 को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 3000 से बढ़ाकर 4500 कर दिया गया, जबकि आशा सहयोगिनीयों का वेतन 1500 से बढ़ाकर 2250 किया, लेकिन यह बहुत कम है, ऐसे में कम से कम 28 हजार रुपये वेतन किया जाना जरूरी है.

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इस मौके पर सांसद ने सदन में कहा कि देश के क्रियाशील 1346990 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 436663 केंद्रों पर शौचालय और 220967 केंद्र पर पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. साथ ही देश में 358446 केंद्र किराए के भवन में चल रहे हैं. वहीं, यह भी कहा की राजस्थान के 61974 क्रियाशील आंगनबाड़ी केंद्रों में से 32527 केंद्रों पर ही शौचालय हैं, जबकि 48949 केंद्रों पर ही पेयजल की सुविधा है. ऐसे में केंद्र सरकार को ऐसे मामलों में ध्यान देने की जरूरत है.

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