जयपुर.आम जनता को अपनी शिकायतों के लिए दफ्तर-दफ्तर बाबुओं और अफसरों के चक्कर नहीं काटने पड़ें. इसके लिए सम्पर्क पोर्टल की सुविधा शुरू गई, लेकिन सरकार महत्वकांशी इस योजना को कई जिले गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
यही वजह है कि राजस्थान में आधा दर्जन से भी ज्यादा जिले ऐसे हैं जो संपर्क पोर्टल पर मिल रही शिकायतों के निस्तारण में पिछड़ गए हैं, जबकि सरकार इस बात को लेकर जोर दे रही है कि निस्तारण ही नहीं, बल्कि परिवादी को संतुष्ट भी करना है.
राजस्थान संपर्क पोर्टल की शुरुआत नागरिकों को कई प्रकार की सुविधाएं देने के लिए की गई थी. इस ऑनलाइन पोर्टल सुविधा के अंतर्गत राज्य के सभी लोगों को उनकी किसी भी प्रकार की समस्या दर्ज करने सुविधा दी गई. जिसके बाद उनकी समस्या का समाधान करने का दावा किया गया था. इतना ही नहीं, आप इस पोर्टल पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर राजस्थान सम्पर्क केन्द्रों पर शिकायतों को निःशुल्क दर्ज करा सकते हैं.
राज्य के लोगों को अपनी किसी भी तरह की शिकायत लेकर अन्य सरकारी दफ्तर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अब राजस्थान के नागरिक अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए शिकायत करना चाहते हैं तो वे संपर्क पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. जिसके बाद संबंधित अधिकारी उनकी परेशानी का निवारण करके उन्हें सूचित करेंगे. लेकिन आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिस मंशा से इस पोर्टल को शुरू किया गया था, वह मंशा पूरी नहीं हो पा रही है.
ये जिले पिछड़ गए
संपर्क पोर्टल पर पारदर्शी व्यवस्था के बीच प्रदेश भर में 97% शिकायतों का निस्तारण हुआ है. जबकि 3 फीसदी शिकायतों की पेंडेंसी है. जालोर, टोंक डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा और कोटा वे जिले हैं जो सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण में पिछड़े हुए हैं. इन जिलों में शिकायतों के निस्तारण का औसत 3 फीसदी कम रहा है. जबकि धौलपुर, प्रतापगढ़, दौसा, बारां, भरतपुर और जयपुर शिकायत निस्तारण सबसे ऊंचे पायदान पर हैं. इन जिलों में शिकायतों का निस्तारण 99 फीसदी के करीब है.
राजस्थान संपर्क पोर्टल 2021 का उद्देश्य