जयपुर.सहकारिता विभाग के हाल ही के जारी किए गए सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों से जुड़े नए सेवा नियमों के विरोध में खुद विभाग के ही कर्मचारी संगठन उतर आए (Cooperative societies oppose new service rules) हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि नए सेवा नियमों के जरिए सहकारी समितियों में सहायक व्यवस्थापक, मिनी बैंक कैशियर और सेल्समैन जैसे पूर्व स्वीकृत पदों को समाप्त कर संविदा पद बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सूरज भान सिंह आमेरा ने इस मामले में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और रजिस्ट्रार को ज्ञापन देकर सहायक व्यवस्थापकों के स्वीकृत पद को यथावत रखने और उनकी स्क्रीनिंग कराए जाने की मांग की है. आमेरा का कहना है कि नए सेवा नियम से सहायक के पद को संविदा का किए जाने से उनके रोजगार पर संकट पड़ेगा. आमेरा ने कहा कि समिति के स्थाई स्वीकृत रोजगार पदों को समाप्त कर संविदा और ठेके पर देना सहकारिता सिद्धांत और दर्शन के खिलाफ है. वहीं प्रदेश की 7300 समितियों में पूर्व स्वीकृत पदों के तहत 2010 से लगभग 4000 सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हैं, जिनके रोजगार की सुरक्षा बेहद जरूरी है.
समितियों में सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण है पद: दरअसल सहकारी समितियों में व्यवस्थापक के अलावा सहायक व्यवस्थापक का महत्वपूर्ण रोल रहता है. समितियों का अधिकतर मुख्य कार्य सहायक व्यवस्थापक द्वारा ही संचालित किया जाता है या फिर कहें कि अकेला व्यवस्थापक से समिति नहीं चल सकती. ऐसे में सहायक व्यवस्थापकों के पदों को नए सेवा नियमों में संविदा पर करने का विरोध तेज हो गया है. कर्मचारी संगठनों की यह भी मांग है कि साल 2017 तक नियोजित व वर्तमान में कार्यरत सभी योग्य पात्र शिक्षित अनुभवी सहायक व्यवस्थापको की भी स्क्रीनिंग की जाए.