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रेवाड़ी में धरने पर बैठे किसानों के बीच पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया

रेवाड़ी में जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर धरनारत किसानों के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कानून वापसी तक ये आंदोलन थमने वाला नहीं है, बल्कि और तेज होगा.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया

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Published : Feb 3, 2021, 12:39 AM IST

रेवाड़ी/जयपुर.दिल्ली-जयपुर हाइवे स्थित रेवाड़ी सीमा के साथ लगते जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर कृषि बिलों के विरोध में धरने पर बैठे किसानों को समर्थन देने के लिए मंगलवार को सीकर राजस्थान से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया पहुंचे. उनके साथ कार्यकर्ताओं का काफिला भी था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कानून वापस ले सरकार

उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को समय रहते दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ लेना चाहिए. किसानों व केंद्रीय सरकार का हित इसी में है कि जल्द से जल्द इन काले कानूनों को वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि किसान अकेले नहीं हैं, इनके साथ पूरा देश जुड़ा हुआ है. केंद्र सरकार इस आंदोलन को हल्के में ना ले. कानून वापसी तक ये आंदोलन थमने वाला नहीं है, बल्कि और तेज होगा.

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रेवाड़ी में 50 दिनों से चल रहा है धरना

गौरतलब है कि रेवाड़ी में बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों का धरना लगभग 50 दिनों से चल रहा है और यहां पर राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के किसान लगातार पहुंच रहे हैं. यहां बैठे पूर्व विधायक अमराराम ने कहा कि हमारे किसान नेता राकेश टिकैत बुधवार को कंडेला जींद पहुंच रहे हैं और यहां पर बड़ी महापंचायत होगी.

राकेश टिकैत को बुलाने का बना रहे कार्यक्रम

उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत को जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर बुलाने के लिए कार्यक्रम बनाया जा रहा है. घोषित कार्यक्रम के अनुसार 6 फरवरी को 12 से 3 बजे तक चक्का जाम रखा जाएगा. इसके लिए गांव-गांव जाकर जनसंपर्क किया जा रहा है. उन्होंने फिर दोहराया कि ये धरना तभी खत्म होगा, जब काले कानून वापस हो जाएंगे.

धरने से आसपास के लोग हुए परेशान

इधर, हाइवे जाम से परेशान 42 गांवों के ग्रामीण, पेट्रोल पंप व होटल संचालक सोमवार को उपायुक्त यशेंद्र सिंह से मिलने के बाद अपनी भावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया था कि हाइवे को चालू कराने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. ग्रामीणों का कहना है कि इस आंदोलन के कारण उनका जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और कारोबारियों का धंधा चौपट हो गया है.

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