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जयपुर में इस बार भी बनेगा भाजपा का बोर्ड, प्रदेश सरकार की नाकामी रहेंगे मुद्देः पूर्व महापौर

प्रदेश में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज चुका है. आज नामांकन का आखिरी दिन है. जयपुर नगर निगम चुनाव में इस बार भाजपा ने पूर्व महापौर रह चुकी शील धाबाई पर भी दांव खेला है. ईटीवी भारत में शील धाबाई से चुनावों के मुद्दे पर बातचीत की.

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नगर निगम चुनाव को लेकर पूर्व महापौर शील धाबाई से ईटीवी भारत की बातचीत

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Published : Oct 19, 2020, 2:42 PM IST

जयपुर.शहर नगर निगम चुनाव में इस बार भाजपा ने पूर्व महापौर रह चुकी शील धाबाई पर भी दांव खेला है. साथ ही उपमहापौर रह चुके मनीष पारीक को भी चुनावी मैदान में उतारा गया है. इस बार जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर दोनों में महापौर पद ओबीसी महिला के लिए रिजर्व है. लिहाजा जयपुर नगर निगम ग्रेटर में यदि भाजपा का बोर्ड बना, तो शील धाबाई महापौर का फेस हो सकती हैं. बता दें कि आज नामांकन का आखिरी दिन है. ईटीवी भारत में शील धाबाई से बातचीत की.

नगर निगम चुनाव को लेकर पूर्व महापौर शील धाबाई से ईटीवी भारत की बातचीत

महापौर चुनाव लड़ने का प्रोसीजर पार्षद चुनाव से ही होता है शुरू

ETV भारत से खास बातचीत में जयपुर की पूर्व महापौर शील धाबाई ने कहा कि चुनाव छोटा या बड़ा नहीं होता. वो पार्षद का चुनाव लड़ रही हैं और महापौर चुनाव लड़ने के लिए इस प्रोसीजर से तो गुजरना पड़ता ही है. धाबाई ने कहा 'पार्टी ने मुझ पर विश्वास जताया. जिसके लिए मैं उनकी आभारी हूं और निश्चित तौर पर खरी भी उतरूंगी.

धाबाई के अनुसार महापौर किसे बनाना है और किसे नहीं, यह तय करना पार्टी का काम है. लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरे अनुभव और पिछले कामकाज को देखते हुए पार्टी मुझ पर विश्वास जताएगी. उनके अनुसार पूर्व में महापौर रहते हुए उन्होंने दो बार यूनेस्को अवार्ड भी जीता और जयपुर को क्लीन सिटी का अवार्ड भी दिलवाया और कई डेवलपमेंट के काम भी करवाएं. शील धाबाई के अनुसार जयपुर की जनता और कार्यकर्ता चाहते थे कि एक बार वापस मुझे मौका मिले और संगठन ने मुझे मौका देकर उन कार्यकर्ताओं की आवाज को सुना है.

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बातचीत में भाजपा प्रत्याशी धाबाई ने ये बात भी स्वीकार की कि इस बार जो टिकट का वितरण हुआ है, उसमें संगठन ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही आगे रखा है. उन्होंने कहा कि इस बार विधायकों को नहीं, बल्कि संगठन ने उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो दिया. जो सालों से पार्टी की सेवा कर रहे थे. लेकिन विधायकों की गुडविल में नहीं थे और जिन्हें विधायकों ने इस चक्कर में ठंड में लगा रखा था.

धाबाई के अनुसार आज संगठन की सभी कार्यकर्ताओं में जय जयकार हो रही है, क्योंकि इस बार संगठन ने जमीन से जुड़े सक्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनी और उन्हें मौका दिया. सिविल लाइन इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर को भी धन्यवाद दिया जो उन्होंने इस बार सही और बोल्ड निर्णय लिया है.

प्रदेश सरकार की नाकामी रहेंगे मुद्दे

शील धाबाई के अनुसार इन चुनाव में उनकी प्राथमिकता विकास तो है ही. साथ ही कोरोना महामारी में जो काम बीजेपी ने किए वो भी एक बड़ा आधार है. वहीं प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार भेदभाव बरता गया और प्रदेश सरकार की जो नाकामी रही उन मुद्दों को लेकर भी वह जनता के बीच जाएंगी और वोट मांगेगी.

ये OBC महिलाएं भी जता सकती हैं मेयर की दावेदारी

इस बार महापौर का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. लिहाजा जयपुर नगर निगम ग्रेटर की बात की जाए, तो यहां राजू देवी, सुशीला बारी, सुखप्रीत बंसल, संजू चौधरी, भारतीय लख्यानी, कश्मीरा बानो, सौम्या गुर्जर, श्रवणी जाट, नीतू रावत, विजयलक्ष्मी, नेहा कुमावत के नाम शामिल है.

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जयपुर नगर निगम हेरिटेज की अगर बात की जाए, तो यहां ओबीसी महिलाओं में उर्वशी सैनी, सोनल जांगिड़, वंदना यादव, मधु कुमावत, मुन्नी देवी, राजकुमारी सेन के नाम शामिल है. मतलब अगर भाजपा का बोर्ड बना तो संभावना है कि इन महिलाओं में से किसी को महापौर बनाया जा सकता है.

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