जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को 15वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में संविधान पर चर्चा हुई. वहीं, देश में राजस्थान एकमात्र ऐसी विधानसभा बन गई है, जिसमें संविधान पर चर्चा के लिए ही समय रखा गया. साथ ही एक और रोचक संयोग गुरुवार को विधानसभा में दिखाई दिया और वह था कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक साथ विधानसभा में सदस्य के तौर पर मौजूद रहना.
पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजूद बता दें कि इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष सदस्य के तौर पर सदन में रहे हों. हालांकि, एक पार्टी अध्यक्ष तो राजस्थान में विधानसभा के सदस्य रहे लेकिन दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा के सदस्य रहें हो, ऐसा पहली बार ही हुआ है.
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हालांकि, सतीश पूनिया भी इस विधानसभा के 2 सत्रों में मौजूद रहे, लेकिन तब वो अध्यक्ष नहीं थे. इससे पहले साल 2003 में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो सांसद थी और कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं गिरिजा व्यास विधायक थी. लेकिन, वसुंधरा राजे जब 2003 में चुनाव लड़ी तो गिरिजा व्यास हार गईं. इसके बाद भाजपा के ललित किशोर चर्तुवेदी अध्यक्ष बने जो विधायक नहीं थे.
इसी तरह से ओम माथूर साल 2008 में भाजपा के अध्यक्ष बने, वो भी विधायक नहीं थे. इसके बाद अरूण चतुर्वेदी भाजपा के अध्यक्ष रहे जो उस समय विधायक नहीं थे. साल 2013 के चुनावों में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो विधानसभा की सदस्य थी. लेकिन उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान विधायक नहीं थे. इसी तरह से साल 2013 में चुनावों के बाद जब तक वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष रहीं, तब कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट बनाए गए, वो भी उस समय विधायक नहीं थे.
पहली बार दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा में विधायक के तौर पर रहे मौजूद
अब पहली बार यह संयोग बना है कि दोनों पार्टीयों के अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा में विधायक के तौर पर मौजूद रहे. खास बात यह रही कि गुरुवार को संविधान पर पहले बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा पर हमला किया. वहीं, पायलट के ठीक बाद में बोलने के लिए सतीश पूनिया खड़े हुए और उन्होंने पायलट की बातों का प्रतिउत्तर दिया.
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बता दें कि उस समय सदन में ऐसा लग रहा था कि मानो पार्टी की प्रेस कॉन्फेंस चल रही हो, जिसमें पहले एक अध्यक्ष अपनी पार्टी का पक्ष रख रहा हो और दूसरा अध्यक्ष उसका जवाब दे रहा हो. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने माना कि ये संभवतः पहला मामला था, जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधायक के तौर पर साथ ही विधानसभा में मौजूद रहे हों.