राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

Exclusive: सलाम ! भीलवाड़ा को कोरोना फ्री करवाने वाले डॉक्टर खुद हुए संक्रमित, कोरोना को हरा फिर से संभाला सेवा का मोर्चा

कोविड से कोरोना वॉरियर्स मुस्तैदी से पिछले एक साल से जंग लड़ रहे हैं. ऐसे ही एक वॉरियर हैं, SMS अस्पताल के उप अधीक्षक प्रदीप शर्मा, जिन्होंने कोविड हॉटस्पॉट बन चुके भीलवाड़ा में काम किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने अनुभव साझा किया.

Jaipur News, Rajasthan news
डॉ. प्रदीप शर्मा Exclusive interview

By

Published : May 23, 2021, 9:15 AM IST

जयपुर.बीते साल मार्च में प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण का पहला मामला देखने को मिला था. इस दौरान चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना हजारों मरीजों का इलाज किया. इस दौरान कई हेल्थ वर्कर्स ने अपनी जान गंवाई और काफी संक्रमण की चपेट में भी आए लेकिन इसके बावजूद इसके वे ड्यूटी से पीछे नहीं हटे. ऐसे ही सवाई मानसिंह अस्पताल के उप अधीक्षक प्रदीप शर्मा हैं, जो लगातार 1 साल से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

डॉ. प्रदीप शर्मा Exclusive interview पार्ट 1

डॉक्टर प्रदीप शर्मा ने ईटीवी से बातचीत में बीते 1 साल के अपने अनुभव साझा किए. डॉ. शर्मा ने बताया कि जब मार्च में पहला मामला प्रदेश में देखने को मिला. इसके बाद भीलवाड़ा जिले में सबसे अधिक संक्रमण के मामले देखने को मिले. ऐसे में सरकार के आदेश के अनुसार उन्होंने भीलवाड़ा जिले में मोर्चा संभाला. उस समय स्थिति काफी विकट थी लेकिन इसके बावजूद वे डटे रहे और भीलवाड़ा को संक्रमण से मुक्त करवाया. इस दौरान भीलवाड़ा मॉडल देशभर में काफी चर्चाओं में भी रहा था.

खुद संक्रमित हुए

डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि जब वह भीलवाड़ा से वापस जयपुर लौटे तो संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. ऐसे में उनका इलाज जयपुर के डेडीकेटेड कोविड-19 सेंटर RUHS अस्पताल में चलS लंबे इलाज के बाद वे ठीक हुए. जिसके बाद वे एक बार फिर से मरीजों की सेवा में जुट गए. उन्होंने बताया कि बीते साल RUHS अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज से लेकर काउंसलिंग का काम भी उन्होंने किया.

यह भी पढ़ें.EXCLUSIVE: मनोचिकित्सक डॉ. अनिता गौतम से जानिये बच्चों के दिमाग पर लॉकडाउन का क्या पड़ रहा है असर

इस दौरान काफी ऐसे मामले उनकी आंखों के सामने आए, जब किसी ना किसी व्यक्ति ने अपने परिजनों को खो दिया. उस मंजर को याद करते हुए डॉ. प्रदीप शर्मा का कहना है कि मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा देखकर उन्हें काफी दुख होता था लेकिन बावजूद इसके वे अस्पताल में भर्ती मरीजों की हौसला अफजाई करते थे. यही नहीं उनके परिजनों की काउंसलिंग का काम भी कई बार चिकित्सकों ने किया.

अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त करना चुनौतीपूर्ण

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हाल ही में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल को डेडीकेटेड कोविड-19 सेंटर में तब्दील किया गया. डॉक्टर प्रदीप शर्मा का कहना है कि सिर्फ 2 दिन में करीब एक हजार मरीज अस्पताल में भर्ती हो गए. ऐसे में सबसे चुनौतीपूर्ण काम ऑक्सीजन सप्लाई का था. कई बार ऐसा लगा कि कहीं ऑक्सीजन की कमी नहीं पड़े तो ऐसे में देर रात तक ऑक्सीजन की व्यवस्थाओं में भी वे जुटे रहे. हाल ही में अस्पताल में एक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक भी लगाया गया है, उसकी देखरेख का काम डॉ. प्रदीप शर्मा कर रहे हैं.

डॉ. प्रदीप शर्मा Exclusive interview पार्ट 2

बेड की कमी का सामना करना पड़ा

RUHS अस्पताल से रेफर होकर जब मरीज SMS अस्पताल आ रहे थे तो बेड की कमी अस्पताल में देखने को मिली. ऐसे में सवाई मानसिंह अस्पताल के अलग-अलग वार्ड को कोविड संक्रमित मरीजों के लिए तैयार करना पड़ा. यही नहीं सामान्य मरीजों के लिए जो बेड और आईसीयू अस्पताल में उपलब्ध थे. उन पर भी कोरोना संक्रमित मरीजों को शिफ्ट किया गया. बीते 1 महीने का यह समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा.

यह भी पढ़ें.Exclusive: व्हाइट फंगस से घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी - डॉ. सुधीर भंडारी

मरीजों से संपर्क में

उन्होंने बताया कि जिन मरीजों को कोई खास दिक्कत नहीं थी, उन्हें जल्द ठीक कर के अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया. जिससे जरूरतमंद और गंभीर मरीज को इलाज मिल सके लेकिन जिन मरीजों को डिस्चार्ज किया जाता था, उनसे लगातार संपर्क बनाना जरूरी था. ऐसे में डिस्चार्ज होने के बाद मरीजों उनके परिजनों को हिदायत दी जाती थी कि यदि मरीज को किसी तरह की कोई परेशानी हो तो तुरंत अस्पताल में संपर्क करें. जिससे उसका जीवन समय रहते बचाया जा सके.

ABOUT THE AUTHOR

...view details