जयपुर.बीते साल मार्च में प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण का पहला मामला देखने को मिला था. इस दौरान चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना हजारों मरीजों का इलाज किया. इस दौरान कई हेल्थ वर्कर्स ने अपनी जान गंवाई और काफी संक्रमण की चपेट में भी आए लेकिन इसके बावजूद इसके वे ड्यूटी से पीछे नहीं हटे. ऐसे ही सवाई मानसिंह अस्पताल के उप अधीक्षक प्रदीप शर्मा हैं, जो लगातार 1 साल से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
डॉक्टर प्रदीप शर्मा ने ईटीवी से बातचीत में बीते 1 साल के अपने अनुभव साझा किए. डॉ. शर्मा ने बताया कि जब मार्च में पहला मामला प्रदेश में देखने को मिला. इसके बाद भीलवाड़ा जिले में सबसे अधिक संक्रमण के मामले देखने को मिले. ऐसे में सरकार के आदेश के अनुसार उन्होंने भीलवाड़ा जिले में मोर्चा संभाला. उस समय स्थिति काफी विकट थी लेकिन इसके बावजूद वे डटे रहे और भीलवाड़ा को संक्रमण से मुक्त करवाया. इस दौरान भीलवाड़ा मॉडल देशभर में काफी चर्चाओं में भी रहा था.
खुद संक्रमित हुए
डॉ. प्रदीप शर्मा ने बताया कि जब वह भीलवाड़ा से वापस जयपुर लौटे तो संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. ऐसे में उनका इलाज जयपुर के डेडीकेटेड कोविड-19 सेंटर RUHS अस्पताल में चलS लंबे इलाज के बाद वे ठीक हुए. जिसके बाद वे एक बार फिर से मरीजों की सेवा में जुट गए. उन्होंने बताया कि बीते साल RUHS अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज से लेकर काउंसलिंग का काम भी उन्होंने किया.
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इस दौरान काफी ऐसे मामले उनकी आंखों के सामने आए, जब किसी ना किसी व्यक्ति ने अपने परिजनों को खो दिया. उस मंजर को याद करते हुए डॉ. प्रदीप शर्मा का कहना है कि मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा देखकर उन्हें काफी दुख होता था लेकिन बावजूद इसके वे अस्पताल में भर्ती मरीजों की हौसला अफजाई करते थे. यही नहीं उनके परिजनों की काउंसलिंग का काम भी कई बार चिकित्सकों ने किया.