जयपुर.प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक की आयु वर्ग को निशुल्क कोरोना वैक्सीन लगाए जाने की मांग सियासी विवादों में है. गहलोत सरकार इसकी जिम्मेदारी जहां केंद्र की मोदी सरकार पर डाल रही है तो वहीं पूर्व चिकित्सा मंत्री और प्रतिपक्ष के मौजूदा उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने स्वास्थ्य को राज्य का विषय बताते हुए निशुल्क वैक्सीनेशन की नैतिक जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की बताई है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान निशुल्क वैक्सीनेशन मामले में चल रही सियासत से जुड़े सवालों का उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बेबाक जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जन कल्याण के लिए सरकार अपने संसाधन खोलें, लेकिन प्रदेश सरकार इससे बच रही है. हमारे देश में फेडरल सिस्टम है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल ने संविधान की शपथ ली है, ऐसे में अपने दायित्वों का निर्वहन प्रदेश सरकार को करना ही चाहिए.
केंद्र से करें बात निकलेगा रास्ता...
बुजुर्गों को केंद्र सरकार ने निशुल्क वैक्सीन की व्यवस्था करवाई, लेकिन अब युवाओं के मामले में केंद्र सरकार पीछे क्यों हट रही है, इस पर राठौड़ ने कहा कि यह राज्य सरकार का विषय है क्योंकि चिकित्सा और स्वास्थ्य राज्यों का विषय होता है. प्रदेश सरकार की ही जिम्मेदारी होती है कि वह इस दिशा में काम करें.
वैक्सीनेशन की कीमत सिरम इंस्टीट्यूट केंद्र सरकार को तो 150 रुपए प्रति वैक्सीन देने की बात करता है लेकिन राज्यों को यही वैक्सीन ₹400 की दर से दी जाने की बात कही गई है ऐसे में क्या एक देश एक व्यक्ति एक कीमत नहीं होना चाहिए, इस पर राठौड़ ने कहा कि निश्चित रूप से यदि वैक्सीनेशन की दरों में अंतर है तो इस विषय पर राज्य सरकार केंद्र से बात कर सकती है.
जनता को राहत देना प्रदेश सरकार का कर्तव्य है
उन्होंने कहा कि सिरम इंस्टीट्यूट एक अलग संस्थान है और दवा बनाने वाली कंपनी है, जिसकी अपनी नीति हो सकती है. लेकिन यदि राज्य इस विषय में केंद्र से बात करें तो इसको लेकर भी एक नीति बन सकती है. केंद्र के माथे ही सभी जिम्मेदारियां छोड़ देना ठीक नहीं है क्योंकि कुछ जिम्मेदारियां राज्यों को भी वहन करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि ऐसे भी हर राज्य करों की वसूली करता है और केंद्रीय करों में हिस्सा भी लेता है, ऐसे में अपनी जनता को राहत देना प्रदेश सरकार का कर्तव्य भी है.