जयपुर.राजस्थान में कोरोना संकट के बीच जारी देशव्यापी लॉकडाउन के लगभग 1 हफ्ते बाद सरकारी दावों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर की कुकर खेड़ा मंडी का रुख किया. इस मंडी के जरिए तेल, घी, आटा, चावल जैसे ही जरूरी सामान की जयपुर और आसपास के इलाकों में सप्लाई की जाती है.
जयपुर की कुकर खेड़ा मंडी में ईटीवी भारत का रियलिटी चेक जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो देखा कि मंडी के व्यापारियों के पास सामान पर्याप्त मात्रा में है पर उनके मुताबिक प्रशासनिक सहयोग नहीं मिल पाने के कारण कई जगहों पर परेशानियां हो रही है. ईटीवी भारत की टीम ने जब मंडी के व्यापारी मजदूर और ट्रांसपोर्टर से बात की तो उनके मुताबिक लॉकडाउन के बाद इन लोगों का मंडी तक पहुंच पाना ही काफी मुश्किल हो गया है.
रास्ते में पुलिस पहचान पत्र दिखाने के बावजूद भी इन लोगों को परेशान करती है. वहीं, सामान की आवाजाही में लगी गाड़ियों को सप्लाई के बाद जरूरी कागज नहीं होने के बहाने परेशान किया जाता है. मंडी कारोबारियों के मुताबिक मंगलवार को ही उनके दो सहयोगी व्यापारियों की गाड़ी को जयपुर पुलिस ने जब्त कर लिया.
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जबकि वह अपनी दुकान खोलने के लिए घर से कुकरखेड़ा मंडी के लिए रवाना हुए थे. वहीं, मजदूर वर्ग का कहना है कि मंडी से बाहर जाते ही उनको भी इस मामले में खासा परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. जाहिर है कि बीते कुछ दिनों में रिटेल कारोबारियों ने राशन के लिए जरूरी समझे जाने वाले आटा, तेल, घी और चावल के साथ-साथ दाल और मसालों जैसे सामान पर कीमतों में यह कहते हुए इजाफा कर दिया है कि सप्लाई आगे से नहीं मिल पा रही है.
जयपुर की कुकर खेड़ा मंडी में ईटीवी भारत का रियलिटी चेक वहीं, जब हम मंडी में पहुंचे तो देखा की यहां मजदूर रोजाना के मुकाबले काफी कम मात्रा में है. सामान लाने और ले जाने वाली लोकल सप्लाई में लगी गाड़ियों की संख्या में गिरावट आ गई है. प्रति क्विंटल 80 रुपये चार्ज करने वाली गाड़ियां अब 150 रुपये प्रति क्विंटल वसूल रही है. ऐसे हालात में जरूरी सामान की कीमतों में मामूली इजाफे को व्यापारियों ने जायज बताया.
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ईटीवी भारत की रियलिटी चेक में एक बात यह भी सामने आई कि एक सवाल मंडियों में अनाज पहुंचाने वाले किसान का भी है, जो फसल कटाई जिसे स्थानीय भाषा में लावणी कहा जाता है में व्यस्त हैं और अब उसके सामने भी यह चिंता है कि वह किस तरह से मंडी तक अनाज को पहुंचाएं.
हर किसान के पास भंडारण की भी व्यवस्था नहीं होती है. ऐसे में यह हालात आने वाले समय में अगर बने रहे तो मुनाफाखोरी के लिए बेहतर और सरकारी व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं. फिलहाल जरूरत इस बात की है कि स्थानीय मंडी प्रशासन से संवाद के साथ-साथ सामान के ट्रांसपोर्ट की चुनौतियों को सरकार जल्द से जल्द सुलझा लें.