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जयपुर: करतारपुरा नाले की चौड़ाई और एलाइनमेंट का प्रोजेक्ट चढ़ा अतिक्रमणकारियों की भेंट - jaipur news

जेडीए ने करतारपुरा नाले की चौड़ाई और एलाइनमेंट नए सिरे से तय कर नाले को पक्का करने का प्रपोजल तैयार किया गया था. लेकिन कोरोना और अतिक्रमणकारियों ने पक्के नाले के मंसूबे पर पानी फेर दिया है. नाले के किनारे खाली पड़ी करोड़ों रुपये की करीब 4.5 बीघा जमीन पर भूमाफिया कॉलोनी बसा रहे हैं. जेडीए प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.

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करतारपुरा नाले पर अतिक्रमण

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Published : May 17, 2021, 4:11 PM IST

जयपुर. बारिश से होने वाले जलभराव की समस्या से आमजन को निजात दिलाने के लिए करतारपुरा नाले की चौड़ाई और एलाइनमेंट नए सिरे से तय कर नाले को पक्का करने का प्रपोजल तैयार किया गया था. लेकिन कोरोना और अतिक्रमणकारियों ने पक्के नाले के मंसूबे पर पानी फेर दिया है. जेडीए की करोड़ों की जमीन पर कब्जा हो रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है.

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करतारपुरा नाले के बहाव क्षेत्र पर कब्जा होने से नाला सिकुड़ता जा रहा है. गुर्जर की थड़ी स्थित सुल्तान नगर से गुजरने वाले नाले के किनारे खाली पड़ी करोड़ों रुपये की करीब 4.5 बीघा जमीन पर भूमाफिया कॉलोनी बसा रहे हैं. जेडीए प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही. हालांकि जेडीए की योजना के अनुसार करीब 4 किलोमीटर का नाला पक्का होना है. बहाव क्षेत्र कितना रखा जाए इसे लेकर मंथन चल रहा है.

करतारपुरा नाले पर अतिक्रमण

इससे पहले अतिक्रमणकारियों ने बहाव क्षेत्र में भराव कर ना सिर्फ नाले को संकरा कर दिया है, बल्कि बीते 10 सालों में बहाव क्षेत्र की दिशा तक बदल चुकी है. इस संबंध में जेडीसी गौरव गोयल ने कहा कि करतारपुरा नाले के लिए ज्वाइंट कमेटी बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. ताकि उसका एलाइनमेंट और चौड़ाई निर्धारित हो जाए, उसके बाद नाले को चौड़ा करने के साथ-साथ अतिक्रमण हटाने के काम को प्राथमिकता से किया जाएगा.

बरसात के दिनों में करतारपुरा नाले में काफी पानी आता है. ऐसे में बरसात से पहले जेडीए ने नालों की सफाई करवाई थी और लाखों रुपये खर्च किये थे. यही नहीं मलबा डालने वालों पर भी कार्रवाई की गई थी. साथ ही नाले को चौड़ा करने का कार्यादेश भी जारी कर दिया गया था. लेकिन अतिक्रमणकारियों की ओर से बहाव क्षेत्र पर ही कब्जा कर लिया गया है. ऐसे में प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. यदि तेज बारिश होती है तो लोगों को जलभराव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

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