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Published : Sep 20, 2020, 6:24 PM IST

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नियमों को ताक पर रखकर स्वायत्त शासन विभाग ने निगम को दिया यूडी टैक्स वसूलने का कॉन्ट्रैक्ट

राजधानी में नियमों की परवाह किए बिना निगम और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी नगरीय विकास कर वसूलने के लिए प्राइवेट फर्म से काम कराने पर अमादा है. ऐसे में अब यूडी टैक्स कलेक्शन को प्राइवेट फर्म से कराने के निगम के फैसले को स्वायत्त शासन विभाग ने भी हरी झंडी दे दी है.

निगम को यूडी टैक्स वसूलने का कॉन्ट्रैक्ट, contract to collect the UD tax
यूडी टैक्स कलेक्शन प्राइवेट फर्म से कराने को हरी झंडी

जयपुर. यूडी टैक्स कलेक्शन को प्राइवेट फर्म से कराने के निगम के फैसले को स्वायत्त शासन विभाग ने भी हरी झंडी दे दी है. जबकि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 के तहत नगर पालिका अधिकारी या उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी धारा 102 और 103 अधीन अधिरोपित करों की वसूली के लिए उत्तरदाई होगा. इसके अलावा स्वायत्त शासन विभाग का 2016 का भी एक आदेश है, जिसमें साफ लिखा है कि यूडी टैक्स वसूली का अधिकार निजी फर्म को दिया ही नहीं जा सकता.

यूडी टैक्स कलेक्शन प्राइवेट फर्म से कराने को हरी झंडी

राजधानी में नियमों की परवाह किए बिना निगम और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी नगरीय विकास कर वसूलने के लिए प्राइवेट फर्म से काम कराने पर अमादा है. हालांकि राजस्व शाखा के कर्मचारी लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और अधिकारी निजी फर्म को काम सौंप चुके हैं. हालांकि अगस्त 2016 को स्वायत्त शासन विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के बिंदु संख्या 8 के 11वें भाग में साफ लिखा है कि निकाय कर की वसूली अपने संसाधनों से ही करेंगे.

किसी एजेंसी को रिकॉर्ड संधारण, रिकॉर्ड कंप्यूटराइज्ड करने, मांग पत्र जारी करने और सर्वे कराने के लिए अधिकृत कर सकेंगे. इसके अलावा राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 में बिंदु संख्या 127 में साफ लिखा है कि, मुख्य नगरपालिका अधिकारी या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई अधिकारी धारा 102 और 103 अधीन अधिरोपित करों के उचित वसूली के लिए उत्तरदाई होगा.

निगम को यूडी टैक्स वसूलने का कॉन्ट्रैक्ट (1)

इस नियम और अधिसूचना के विपरीत जाकर अब स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी भी टैक्स की वसूली निजी फर्म से कराने की वकालत कर रहे हैं. उनका तर्क है कि निगम बोर्ड ने इसकी अनुमति दी है और इससे निगम को राजस्व बढ़ोतरी में भी फायदा मिलेगा. जबकि निगम के अधिकारियों की माने, तो कंपनी को एक बड़ा टारगेट दिया गया है, जो निगम की स्टाफ संख्या से संभव नहीं.

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हालांकि निगम प्रशासन यूडी टैक्स के अलावा ट्रेड लाइसेंस फीस, मोबाइल टावर किराया, यूजर चार्ज और सीवरेज चार्ज की वसूली का जिम्मा भी निजी फर्म को देने की तैयारी कर रही है. निजी कंपनी को काम के साथ-साथ मुख्यालय में ही बड़ा ऑफिस भी दिया गया है, जिसका भी विरोध हो रहा है.

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