जयपुर. उदयपुर में जघन्य हत्याकांड के बाद कई तरह के तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं. मृतक कन्हैया लाल ने सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन में भी ऐसा ही कोई पोस्ट डाला था जिसके चलते उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वहीं हत्यारों ने भी सोशल मीडिया पर जघन्य हत्याकांड के पहले और बाद के वीडियो डालकर (disputed post on social media) लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम किया है. वर्तमान में सभी लोगों के हाथ में मोबाइल है और लोग सोशल मीडिया का बढ़-चढ़कर प्रयोग करते हैं, लेकिन इस बात का जरा भी ख्याल नहीं रहता कि उन्हें सोशल मीडिया पर किस तरह के पोस्ट करने चाहिए. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर पोस्ट (social media user should be ware of posting content) डालने को लेकर सतर्क रहें.
उदयपुर हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में नेटबंदी का फैसला सरकार को लेना पड़ा ताकि माहौल और खराब ना होने पाए. वहीं सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने वाले, लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने वाले लोगों पर पुलिस की सोशल मीडिया सेल लगातार अपनी निगाह बनाए हुए हैं. कुछ लोग महज चर्चा में रहने के लिए और दूसरों को भड़काने के लिए आपत्तिजनक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. इसके चलते कई बार स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. पुलिस की सोशल मीडिया सेल 24 घंटे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपनी नजर रखती है और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करती है.
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एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली पोस्ट करने वाले, कमेंट करने वाले, किसी आपत्तिजनक मैसेज को फॉरवर्ड करने वाले और वायरल करने वाले तमाम लोगों पर साइबर सेल की ओर से कड़ी निगरानी रखी जा रही है. इसके साथ ही ऐसे लोग जो पूर्व में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की घटनाओं में लिप्त रह चुके हैं उन पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. सोशल मीडिया पर ऐसा कोई भी भड़काऊ पोस्ट न डाला जाए जिसकी वजह से भविष्य में किसी तरह का माहौल बिगड़े इस पर पूरा फोकस किया जा रहा है.
इन धाराओं में की जाती है कार्रवाई
एडिशनल डीसीपी सुनीता मीणा ने बताया कि सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले व्यक्ति को तुरंत आईडेंटिफाई करने का काम किया जाता है. इसके बाद ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ उनके कृत्य के आधार पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक्शन लिया जाता है. कोई भी ऐसा कंटेंट जो कई बार शेयर किया जा रहा है और विवादास्पद है उस पर विशेष फोकस रखा जा रहा है. साथ ही ऐसा कंटेंट शेयर करने वाले तमाम लोगों के खिलाफ आईटी एक्ट और विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है.
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पूर्व में भी इस तरह के अनेक लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया है. इमेज मॉर्फिंग करने वाले या किसी दूसरे स्थान की वीडियो को कट पेस्ट कर किसी अन्य स्थान का बताकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले लोगों के विरुद्ध आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. इसी प्रकार से दो समुदाय के लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले पोस्ट शेयर करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए और 295-ए के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके साथ ही लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने पर राजद्रोह व अनलॉफुल एक्टिविटीज एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. ऐसे लोग जिन्हें इन एक्ट के बारे में जानकारी नहीं है उन्हें इसे समझाने की बेहद आवश्यकता है. ऐसी कोई भी पोस्ट जिसके चलते धार्मिक उन्माद उत्पन्न हो सकता है उसे आगे फॉरवर्ड करने से बचें.
इस तरह से आईडेंटिफाई किए जाते हैं आपत्तिजनक पोस्ट
सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक पोस्ट आईडेंटिफाई करने के लिए पुलिस विभिन्न तरह के कीवर्ड का इस्तेमाल करती है. विशेषकर ऐसे कीवर्ड जो लोगों को भड़काने का काम करते हैं या फिर ऐसी किसी घटना से संबंध रखते हैं, जिसके चलते लोगों की भावनाएं आहत होती हैं, उन पर विशेष फोकस रखा जाता है. राजस्थान में वर्ष 2021 में लोगों को भड़का कर धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास करने वाले 25 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की गई. वर्ष 2022 में अब तक 5 लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर जेल भेजा जा चुका है. उदयपुर में हुए जघन्य हत्याकांड के बाद अब पुलिस विशेष फोकस रख रही है और ऐसे लोग जो हिंसा भड़काने का प्रयास कर सकते हैं, उन पर निगरानी रखी जा रही है. पुलिस की सोशल मीडिया सेल के अलावा राजस्थान इंटेलिजेंस भी सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काने वाली पोस्ट को लेकर काफी अलर्ट है.