जयपुर.राजधानी के झोटवाड़ा थाना इलाके में स्थित दिवाकर पब्लिक स्कूल से 14 मई को दूसरी पारी में आयोजित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक (constable recruitment paper leak case) करने के प्रकरण में एसओजी (rajasthan sog) ने अपनी जांच पूरी करते हुए 22 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया है. हालांकि अभी प्रकरण में केवल 22 लोगों के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश किया गया है. तकरीबन आधा दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ चालान को पेंडिंग रखा गया है.
संदिग्धों की भूमिका को लेकर एसओजी अभी जांच कर रही है. बुधवार को आरोपियों के खिलाफ एसओजी ने धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र सहित राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 2022 के प्रावधानों के तहत चालान पेश किया. एसओजी द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक करने में किस तरह से सभी आरोपियों ने एक कड़ी के रूप में अपनी भूमिका निभाई इसका खुलासा किया गया है.
छोटूराम बना मोहनलाल:एसओजी ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण को लेकर कोर्ट में जो चालान पेश किया है उसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि दिवाकर पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर मुकेश शर्मा ने पेपर लीक करने का पूरा षड्यंत्र रचा. इसके लिए छोटूराम नाम के व्यक्ति से संपर्क किया. पेपर लीक करने के लिए छोटूराम से 8 लाख रुपए में सौदा तय किया गया और उसे यह राशि एडवांस दी गई. इसके बाद छोटूराम को उसका नाम बदल कर मोहनलाल के नाम से परीक्षा केंद्र पर फर्जी तरीके से वीक्षक लगाया गया. इसके बाद छोटूराम ने मुकेश शर्मा के साथ मिलकर स्ट्रांग रूम से पेपर लीक किया.
पेपर लीक करने की एवज में जो राशि छोटूराम ने ली उसे छोटूराम ने घर पर अपनी पत्नी प्रिया के पास रखवा दिया. छोटूराम को मोहनलाल बनाने के लिए कमल कुमार और राकेश कुमावत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुकेश शर्मा के कहने पर राकेश ने अपने कंप्यूटर पर काट छांट करते हुए छोटूराम का मोहनलाल के नाम से फर्जी आधार कार्ड बनाया. उसके बाद फर्जी आधार कार्ड का प्रयोग करते हुए कमल कुमार ने मोहनलाल के नाम से वीक्षक का कार्ड बनाया.
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चेन बनाकर पेपर आउट:पेपर लीक करने के प्रकरण में छोटूराम के अलावा अन्य लोगों की भूमिका व लापरवाही भी उजागर हुई. परीक्षा केंद्र पर केंद्र अधीक्षक के तौर पर स्कूल की प्रिंसिपल शालू शर्मा की ड्यूटी थी जिसने पेपर का पैकेट उसके सामने खोले जाने के कागजों पर हस्ताक्षर किए लेकिन स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में स्ट्रांग रूम में पेपर खोलते वक्त वह नदारद नजर आई. इसी तरह से पेपर कंडक्ट कराने वाली एजेंसी टीसीएस के कर्मचारी राकेश को सेंटर मैनेजर के तौर पर लगाया गया था. राकेश ने भी पेपर उसके सामने सही सलामत खोले जाने के कागज पर हस्ताक्षर किए.
इसके साथ ही विक्रम सिंह को भी टीसीएस ने सेंटर पर डिप्टी मैनेजर नियुक्त किया था. उन्होंने स्ट्रांग रूम में किए जा रहे खेल पर ध्यान ही नहीं दिया. वहीं पुलिस की ओर से स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में तैनात एएसआई रतनलाल और सेंटर प्रभारी पुलिस निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद की बड़ी लापरवाही उजागर हुई. रतनलाल स्ट्रांग रूम से नदारद रहा तो वही राजेंद्र प्रसाद ने पेपर सही सलामत खोले जाने के कागजों पर हस्ताक्षर किए. इसी तरह से परीक्षा केंद्र पर वीक्षक के तौर पर तैनात स्कूल की शिक्षिका पूजा मामलानी पेपर खोलते समय स्ट्रांग रूम में मौजूद नहीं थी लेकिन उसने पेपर सही होने की पुष्टि की.
टीसीएस एजेंसी ने परीक्षा केंद्र पर मनोज वर्मा नाम के कर्मचारी को तैनात किया था. मनोज, मुकेश शर्मा का विश्वसनीय था. इसके चलते पेपर लीक करवाने के लिए उसकी ड्यूटी स्ट्रांग रूम में नहीं होने के बाद भी उसे स्ट्रांग रूम की निगरानी में लगाया. पेपर लीक करने के बाद जिस सिम कार्ड का प्रयोग कर पेपर को सेंटर से आउट पर दूसरे लोगों तक पहुंचाया गया. वह सिम सेंटर पर एक टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी के तौर पर तैनात शाहरुख और कंवर सिंह नामक व्यक्ति ने छोटूराम तक पहुंचाया.
स्ट्रांग रूम से पेपर लीक करने के बाद छोटूराम ने पेपर हल करने के लिए परीक्षा से पहले विनोद कुमार, जोबनेर स्थित अक्षय कोचिंग सेंटर के बलवीर, मुकेश बाना और सुरेश जाट को भेजा. पेपर हल करने के दौरान ही उसे बलवीर ने जागृति पब्लिक स्कूल के धीरज शर्मा को दिया. पेपर हल किए जाने के बाद उसे मुकेश ने आगे अन्य लोगों को बेचने का काम किया. इस तरह से एक पूरी चेन बनाकर पेपर आउट कर उसे आगे लोगों तक पहुंचाया गया.