जयपुर.राजधानी जयपुर के मालवीय नगर, गोपालपुरा बाईपास, वैशाली नगर, लाल कोठी, सोडाला और परकोटा क्षेत्र में सैकड़ों कोचिंग संचालित हैं. जहां संचालकों की ओर से न तो भवन विनियमों का ध्यान रखा जा रहा और कई जगहों पर विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त जगह और सुविधाओं का भी अभाव है. यही नहीं इन क्षेत्रों में ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या से भी हर दिन लोगों को दो-चार होना पड़ता है. इन सब दिक्कतों को ध्यान में रख राज्य सरकार ने जयपुर के प्रताप नगर सेक्टर 16 में कोचिंग हब बनाने का फैसला लिया. जिसके पहले चरण यानी 5 टावर का काम 80 फ़ीसदी पूरा हो चुका है. दावा किया जा रहा है कि इससे न सिर्फ कोचिंग संचालकों को बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध (Coaching Centers Under Single Roof In Jaipur) होंगी. प्रोजेक्ट पर बोर्ड करीब 319 करोड़ खर्च रहा है और अनुमान है कि वो 450 करोड़ कमाएगा. बताया जा रहा है कि अगले 1 से 2 महीने में ऑक्शन और आवंटन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी.
सीएम ने विधानसभा में किया था एलान: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा (2020-21) के अनुसार जयपुर के प्रताप नगर सेक्टर 16 में हल्दीघाटी मार्ग पर लगभग 67 हजार वर्गमीटर जमीन कोचिंग हब विकसित (coaching hub in Jaipur) किया जा रहा है. यहां उपलब्ध जमीन के 40 प्रतिशत क्षेत्र में ही निर्माण कराया जाएगा, जबकि 60 प्रतिशत क्षेत्र खुला ही रहेगा. आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि कोचिंग हब के प्रथम चरण का काम अपने अंतिम दौर में चल रहा है. अगले 1 से 2 महीने में आवंटन की स्थिति आ जाएगी. आवंटन की प्रशासनिक प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है. आवेदन पत्र आमंत्रित करने की तारीख जल्द घोषित कर दी जाएगी. यहां 500 वर्ग फीट से 6200 वर्ग फीट तक के आकार के कोचिंग सेंटर के लिए स्पेस डिजाइन किए हैं. कोचिंग हब के बाहर 90 शोरूम बनाये गए हैं. जिनका भी जल्द ऑक्शन शुरू होगा ताकि उसी पैसे को कोचिंग हब में इस्तेमाल कर सकें.
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319 करोड़ खर्च 450 करोड़ रुपये का राजस्व: हब के विचार से लेकर इसके खर्चे और फिर इसके Execution तक को लेकर गहन मंत्रणा हुई. फायदे नुकसान का गुणा भाग भी किया गया. अनुमान है की लाभ ठीक ठाक होगा. कोचिंग हब की कुल लागत 319 करोड़ है और जैसा कि दावा है मण्डल को लगभग 450 करोड़ की प्राप्ति होगी. कोचिंग हब के निर्माण से पहले हर बारीकी का ध्यान रखा गया खासकर फाइनेंस का. परियोजना की वित्तीय फिजिबिलिटी का एमएनआईटी से परीक्षण भी कराया गया. जिसमें इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह वायबल और उपयोगी माना है.
ऐसा होगा भवन: कोचिंग हब में कुल 8 सांस्थानिक टावर बनेंगे. प्रत्येक सांस्थानिक भवन के हर फ्लोर पर 1100 वर्गफीट से लेकर 14 हजार वर्गफीट तक के कारपेट क्षेत्र का कोचिंग संस्थानों को बेचा जाएगा. हर टावर 7 मंजिल का होगा, जिसमें कुल 1 लाख वर्ग फीट क्षेत्रफल निर्मित किया जाएगा. इन सभी भवनों के नीचे पार्किंग विकसित की जाएगी. कोचिंग हब का निर्माण दो फेज में कराया जाएगा. इनमें पहले फेज में 5 और दूसरे फेज में 3 टावर बनेंगे. ये प्राजेक्ट 42 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा. इसका पहला फेज यानी 5 टावर ने मूर्तरूप लेना शुरू कर दिया है. जिसका इस साल सितम्बर 2022 में पूरा होने का दावा किया जा रहा है.
Wellness सेंटर और लाइब्रेरी पर भी ध्यान :कोचिंग हब में विद्यार्थियों की हेल्थ का विशेष ध्यान रखते हुए वैलनेस सेंटर बनाया जा रहा है. यहां जॉगिंग ट्रेक, वॉकिंग ट्रेक, साइक्लिंग ट्रेक, ओपन एयर जीम, इनडोर जीम, हेल्थ चेकअप सेंटर, बास्केटबॉल / टेनिस बॉल कोर्ट, योगा और मेडिटेशन सेंटर बनाया जाएगा. इसमें साइक्लोजिकल कन्सलटेंट भी नियुक्त किए जाएंगे. योजना में आठ संस्थानिक ब्लॉक के साथ ही 32 हज़ार 325 वर्गफीट क्षेत्र में सेन्ट्रल लाईब्रेरी और 34 हज़ार 280 वर्गफीट क्षेत्र में लगभग 1200 व्यक्तियों की बैठक क्षमता का ऑडिटोरियम बनाया जा रहा है.
2108 वाहनों की पार्किंग:कोचिंग के लिए छात्र साइकिल या दो पहिया वाहन से आते हैं. व्यवस्था इसकी भी की गई है. पार्किंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए सभी आठ संस्थानिक ब्लॉकों के नीचे बेसमेंट को रिंग के रूप में जोड़ा जा रहा है. और पूरे क्षेत्र में लगभग 839 चौपहिया और 1269 दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण किया गया है. इस तरह यहां कुल 2108 वाहन पार्क किये जा सकेंगे. कोचिंग हब के कैंपस में विद्यार्थियों के सुगम आवागमन के लिए 18 मीटर चौड़ी सड़के बनाई जाएंगी. सभी सड़कों पर सोलर लाइट्स, सीसीटीवी कैमरा और छायादार बड़े पेड़ लगाए जाएंगे. कोचिंग हब को ग्रीन कैंपस बनाने के लिए यहां पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा. यहां व्यापक स्तर पर घना वृक्षारोपण किया जाएगा. इसके साथ ही बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए हार्वेस्टिंग प्लॉट, अपशिष्ट जल शुद्धिकरण, सोलर उर्जा का प्रावधान पूरे कैंपस में रखा गया है.
अन्य सुविधाएं: दो संस्थानिक भवनों के भूतल पर एक बड़ा खुला प्लाजा बनाया जाएगा, जहां पर कॉफ़ी शॉप के साथ-साथ बैठने की सुविधा भी दी जाएगी. सभी संस्थानिक भवनों में विशाल प्रवेश लॉबी के साथ ही 25 व्यक्तियों की क्षमता वाली 4 हाई स्पीड लिफ्ट लगाने के साथ फायर एग्जिट सीढ़ियां, प्रत्येक मंजिल पर लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए जाएंगे. खास बात ये है कि सभी भवनों को सुरक्षा के लिहाज से पूर्ण रूप से भूकंप रोधी डिजाइन किया गया है. इसके साथ ही सभी भवनों में अत्याधुनिक फायर सेफ्टी उपकरण लगाए जाएंगे। ताकि आपातकाल में किसी भी प्रकार की बड़ी क्षति नहीं हो. विद्यार्थियों के लिए फूड कोर्ट भी बनाया जाएगा. इसके साथ ही 300 व्यक्तियों के बैठने की सुविधा सहित 2400 वर्गमीटर क्षेत्रफल का मसाला चौक का प्रावधान रखा गया है.
पीजी और हॉस्टल की सुविधा:बाहर से आने वाले या फिर दूर से आने वाले छात्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या कहीं ठहरने की होती है. इस हब की डिजाइनिंग में इसका भी ख्याल रखा गया है. यहां होस्टल, गेस्ट हाउस, स्टूडियो अपार्टमेंट, पेईंग गेस्ट की सुविधा विकसित करने के लिए 1700 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंड सृजित किए गए हैं. इसके साथ ही यहां बहुमंजिला व्यावसायिक भवनों के लिए 4 बड़े भूखंडों का भी प्रावधान रखा गया है. सुरक्षा की दृष्टि से सब जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. चार दीवारी बनाई जाएगी, जिसका निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है. कोचिंग हब का प्रवेश द्वार बड़ा भव्य बनाया जाएगा, जहां 24 घंटे गार्ड उपलब्ध रहेंगे. योजना के पास सेक्टर 8 में स्टूडेंट और एजुकेशन फैकेल्टी को आवास सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एक रूम, टॉयलेट, पैन्ट्री वाले स्टूडियो अपार्टमेंट का भी निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जा रहा है.
संचालकों की राय: राजधानी के कोचिंग संचालकों का कहना है कि वे इस हब को लेकर उत्साहित तो हैं लेकिन इसके आवंटन में शर्ते होनी चाहिए. शर्तें होंगी तो बरसों से कोचिंग चला रहे संचालकों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. साथ ही एक ही कोचिंग हब बनने से समाधान नहीं हो सकता हैं क्योंकि राजधानी में आज एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कोचिंग की पढ़ाई के लिए आते हैं. ऐसे में इस तरह के और भी कोचिंग हब की जरूरत राजधानी के एक दूसरे छोर पर होगी ताकि विद्यार्थयों का दबाव भी एक ही स्थान पर न पड़े.
कोचिंग हब बन जाने से राजधानी वासियों को भी ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या से निजात मिलेगी. उम्मीद की जा रही हैं कि अगले वर्ष दिसंबर तक कोचिंग हब के दोनों चरणों का काम पूरा हो जाएगा लेकिन इसके बाद भी क्या सभी कोचिंग संस्थाओं को यहां शिफ्ट किया जा सकेगा? बड़ा सवाल है और इसकी भविष्यवाणी करना फिलहाल संभव नहीं है.