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सहकारिता विभाग 10 विद्यार्थियों को कराएगा फ्री आईएएस की कोचिंग

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर सहकार भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीरज के पवन ने कहा कि देश में सबसे बड़ा रोजगार या सबसे बड़ी नौकरी आईएएस ऑफिसर की है और इसके लिए अब सहकारी संस्था कोचिंग की तैयारी कराएगी. उन्होंने कहा कि आईएएस की प्री परीक्षा पास करने वाले 10 गरीब विद्यार्थियों को सहकारी संस्था राइसेम कोचिंग की तैयारी कराएगी.

सहकारिता विभाग कराएगा फ्री कोचिंग

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Published : Jul 6, 2019, 6:25 PM IST

जयपुर.सहकारिता विभाग अब 10 गरीब विद्यार्थियों को आईएएस की मुख्य परीक्षा की फ्री कोचिंग भी कराएगा. इसकी घोषणा सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार नीरज के पवन ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर की.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के रहने, खाने-पीने आदि की व्यवस्था विभाग कराएगा. उन्हें केवल आईएस के मुख्य परीक्षा की तैयारी करनी है. उन्होंने कहा कि संसाधन के अभाव में कोई ग्रामीण बच्चा पढ़ नहीं पा रहा है तो उसके लिए सहकारिता विभाग आगे आ रहा है.

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर सहकार भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीरज के पवन ने कहा कि देश में सबसे बड़ा रोजगार या सबसे बड़ी नौकरी आईएएस ऑफिसर की है और इसके लिए अब सहकारी संस्था कोचिंग की तैयारी कराएगी. उन्होंने कहा कि आईएएस की प्री परीक्षा पास करने वाले 10 गरीब विद्यार्थियों को सहकारी संस्था राइसेम कोचिंग की तैयारी कराएगी और इसके लिए रहने खाने पीने की सारी व्यवस्था सहकारी संस्था ही कराएगी. उन्हें केवल मेहनत से पढ़ना ही होगा. उनके लिए नोट्स आदि की व्यवस्था भी सरकारी संस्था ही कर आएगी इसलिए उन्हें किसी भी तरह की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं होगी.

सहकारिता विभाग कराएगा फ्री कोचिंग

नीरज के पवन ने कहा कि राइसेम के डायरेक्टर ने इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार कर ली है और 10 विद्यार्थियों से हम इसकी शुरुआत करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें कोचिंग संस्थान से टाइआप करना है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे संस्थान है जो गरीब बच्चों का शोषण करते हैं. उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर सहकारी संस्थाएं भी इस तरह का काम कर सकती है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पटवारी, टीचर, ग्राम सेवक आदि की कोचिंग सहकारी संस्थाएं करा सकती है, इनकी ग्रामीण क्षेत्र में आवश्यकता भी होती है.

उनके अनुसार, उद्देश्य लाभ कमाना नहीं, मार्जिन निकालना है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के काम कई सगकारी संस्थाएं कर सकती है, ताकि संसाधन के अभाव में गरीब बच्चा पढ़ाई नहीं छोड़े और इसके लिए केवल कोचिंग संस्था से टाईअप ही करना है. नीरज के पवन ने कहा कि सेवा का शुल्क भी कम ले और लोगो तक अच्छी सेवा भी पहुंचाई जाए.

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