जयपुर.हम रूबरू करवाएंगे गुलाबी नगरी में रह रहे उन छोटे-छोटे बच्चे से, जो कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन के बाद से अब तक घरों में रहने को मजबूर हैं. ऐसे में बरखा अपने दोस्तों से मिलना चाहती है, गुलशन खुले मैदान में खेलना चाहता है, पढ़ाकू रुद्राक्ष अपनी कोचिंग को मिस कर रहा है, यह तमाम बच्चे इन दिनों घरों में रहने को मजबूर हैं. कारण, कोरोना वायरस महामारी है.
घर में रहने को बच्चे मजबूर प्रदेश में 14 मार्च से स्कूल कॉलेजों पर ताला जड़ा हुआ है, तमाम शैक्षणिक संस्थान सभी पूरी तरह बंद है. यही नहीं 22 मार्च से तो स्कूल कॉलेज के साथ-साथ खेलकूद के मैदान और अन्य सह शैक्षणिक गतिविधियां भी पूरी तरह से बंद हो गई. जिसके बाद से पिंकी, राहुल, पिंकू जैसे प्रदेश के लाखों बच्चों की दुनिया केवल घरों तक सिमट कर रह गई है. उनके लिए खेल का मैदान घर की छत बन गई. कोचिंग क्लासेस और स्कूल क्लॉसेज मोबाइल और लैपटॉप में सिमट गई है.
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कोरोना के चलते बच्चे अपने घरों में मानों पूरी तरह से कैद हैं, वे ना तो स्कूल जा सकते हैं और ना ही कोचिंग. बच्चे खेलने के लिए पहले की तरह पार्कों में भी नहीं जा सकते और ना ही पड़ोस में ही जा पा रहे हैं. बच्चों के परिजन भी उन्हें घरों से नहीं निकलने दे रहे. यानि की पाबंदियों के साथ बच्चों को घरों में ही सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है. घर में बैठे ही ऑनलाइन क्लॉसेज दी जा रही है. बच्चे लैपटॉप और मोबाइल पर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. खेलने के लिए खुले मैदान की जगह अपनी छतों पर खेल रहे हैं. कई बार बच्चे घर से बाहर निकलने की जिद करते हैं, तो ऐसे में परिजन सावधानी के साथ बच्चों को घर से बाहर निकलने की अनुमति देते हैं. लेकिन अपनी नजर के सामने ही उन्हें सतर्कता बरतते हुए कुछ समय के लिए छूट दी जाती है. बच्चे जैसे ही बाहर खेलने के बाद वापस आते हैं तो उन्हें नहलाया जाता है और सैनिटाइज करने के बाद ही घरों में वापस लाया जाता है. मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए उन्हें खेलने दिया जाता है.
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जयपुर शहर के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में तो बच्चों को बाहर खेलने के लिए जगह भी नहीं मिल पाती. ऐसे में पार्क भी अभी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. परिजनों ने घरों में ही खेलने के संसाधन उपलब्ध करवा रहे हैं. कई जगह पर तो बच्चों के लिए इन दिनों कैरम और शतरंज समेत अन्य खेल संबंधित गतिविधियां करवाई जा रही हैं. ताकि बच्चों का मन लगा रहे. कोरोना के चलते बच्चों को बाहर निकालने से रोकने के लिए परिजन भी विशेष सावधानियां बरत रहे हैं. बच्चे परिजनों को बाहर निकलने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ऐसे में माता-पिता को भी बच्चों को नियंत्रित करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जैसे-तैसे करके माता-पिता बच्चों को घर में खेलने के संसाधन उपलब्ध करवा रहे हैं और मनोरंजन भी करवाकर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है.
कोरोना के चलते घर में रहने को मजबूर स्कूली छात्र जयपुरवासी राधेकृष्ण सैनी ने बताया कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ रहा है. पहले तो बच्चे आराम से खुले में भी खेल लेते थे, लेकिन अब बाहर निकालना भी खतरा है. बच्चे बाहर निकलने की जिद भी करते हैं. ज्यादा जिद करने पर सावधानी के साथ बच्चों को घर के बाहर आंगन में खेलने की अनुमति देते हैं. पड़ोस में जाने के लिए भी रोकते हैं. इस कोरोना काल में बच्चे न तो पड़ोस में जा सकते हैं न ही रिश्तेदारी में जा सकते हैं.
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अभिभावक महेश कुमार ने बताया कि बच्चे अलग-अलग मन के होते हैं, कुछ बच्चे बात को मान जाते हैं तो कुछ बच्चे जिद भी कर लेते हैं. छोटे बच्चों को समझाना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन बच्चों की मां अपने बच्चों को अच्छे से संभाल रही हैं. बच्चों को कई बार उनकी पसंद की चीज देकर मनाना पड़ता है. या फिर घर में ही खिलौने उपलब्ध करवाकर घर में रोकने का प्रयास रहता है. बच्चों को बाहर खेलने की अनुमति देते हैं तो बाहर ज्यादा खतरा रहता है. कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का भी डर रहता है. बाहर काफी बच्चे रहते हैं तो किसी भी तरह संक्रमण फैलने की संभावना रहती है. बच्चे जब बाहर निकलने की जिद करते हैं तो उन्हें टीवी, गेम और मनोरंजन करवाकर नियंत्रण में रखा जा सकता है. अगर बच्चे बाहर भी जाते हैं तो उन्हें मास्क पहनाकर रखें और सैनिटाइजर का उपयोग करवाएं. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखें.
राजस्थान में कोरोना के चलते स्कूल बंद प्रीति शर्मा ने बताया कि बच्चों को घर में रखना, बाहर जाने से रोकना और उनका मन लगाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई से भी बच्चे परेशान हो जाते हैं. मोबाइल और लैपटॉप में ही दिन निकलता है तो उससे भी बच्चे परेशान हैं. बच्चों को बाहर जाने से रोकने के लिए घर में ही अच्छी-अच्छी चीजें बनाकर उन्हें खिलाते हैं और उनका मन लगाने का प्रयास करते हैं.
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छात्र रुद्राक्ष ने बताया कि सुबह उठकर सबसे पहले परिवार के साथ ही योगा करते हैं. इसके बाद नहा धोकर पूजा करते हैं. इसके बाद स्कूल की क्लॉस रहती हैं जो कि हम ऑनलाइन लेते हैं. ऑनलाइन क्लास लेने के बाद होमवर्क करते हैं. इसके बाद बचे हुए दिन में टीवी देखते हैं या गेम खेलते हैं. शाम के समय छत पर जाकर खेलते हैं और एक्सरसाइज भी कर लेते हैं. कोरोना के चलते हम बाहर नहीं जा रहे. ऐसे में छत पर जाकर ही खेल लेते हैं. न तो दोस्तों के पास जाते हैं, न ही नाना-नानी के जा पा रहे हैं. घर मे परिवार के साथ ही आनंद करते हैं.
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छात्र गुलशन ने बताया कि पहले हम बाहर खेलने जाते थे, लेकिन अब नहीं जा पा रहे हैं. स्कूल भी बंद है तो ऐसे में घर में ही ऑनलाइन क्लास लेते हैं. छात्रा प्रिया ने बताया कि हम घर में ऑनलाइन क्लास लेते हैं. मम्मी पापा घर से बाहर नहीं निकलने देते. बाहर कोरोना संक्रमण का डर रहता है, और घर में ही भाई बहनों के साथ गेम खेलते हैं. पहले हम स्कूल के ग्राउंड में खेलते थे और बाद में पार्क में भी खेलने जाते थे. लेकिन अब कोरोना की वजह से बाहर जाना बंद हो गया है.
छात्रा उर्मिला ने बताया कि अभी हमारे स्कूल बंद हैं तो ऐसे में घर पर ही पढ़ाई कर रहे हैं. ऑनलाइन क्लास लेते हैं और फिर होमवर्क करते हैं. मम्मी पापा भी घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे. खेलना कूदना सब घर में ही होता है. छात्र दक्ष ने बताया कि बाहर जाने का काफी मन करता है. दोस्तों से मिलने का भी मन होता है, लेकिन मम्मी पापा बाहर नहीं निकलने देते, न ही नाना-नानी के घर जा पा रहे हैं, न ही पार्क में जाकर खेल सकते हैं. ऐसे में घर पर ही गेम खेलकर और पढ़ाई करके टाइम पास कर रहे हैं.