राजस्थान

rajasthan

By

Published : Dec 30, 2020, 4:46 PM IST

ETV Bharat / city

Special : कोरोना काल में सरकारी तंत्र ठप...बढ़े बाल विवाह के मामले

लॉकडाउन में बाल विवाह, बाल मजदूरी जैसे अन्य बाल अपराधों में इजाफा देखा गया है. कोरोना काल में मजबूरी, भूखमरी और आर्थिक तंगी के चलते लोग कम उम्र में अपनी बेटियों की शादी कर रहे हैं. आलम यह है कि लोगों को रोजगार और मेंटल हेल्थ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

child marriae cases hike, coronavirus pandemic in rajasthan
कोरोना का बाल फेरा...

जयपुर.कोरोना काल में लोगों को रोजगार और मेंटल हेल्थ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं. कोरोना महामारी के बीच एक ऐसा स्याह सच भी सामने आया है जो काफी परेशान करने वाला है. लॉकडाउन में बाल विवाह, बाल मजदूरी जैसे अन्य बाल अपराधों में इजाफा देखा गया है. कोरोना काल में मजबूरी, भूखमरी और आर्थिक तंगी के चलते लोग कम उम्र में अपनी बेटियों की शादी कर रहे हैं.

लॉकडाउन में बाल अपराध मामलों में हुआ इजाफा...

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष के समक्ष बाल विवाह को रुकवाने की गुहार लगाने पहुंची लाडो अपने सपनों को पंख लगाना चाहती है. वो चाहती है खुले आसाम में उड़ान भरे, लेकिन अपने ही उसके सपनों के पंखों को काटना चाहते हैं. परिवार महज 15 बरस की उम्र में उसकी शादी करना चाहता है. हालांकि, ये मामला बाल संरक्षण आयोग के सामने पहुंचा तो बाल विवाह रुकवा दिया गया. परिवार को भी बाध्य कर दिया गया है. यह तो एक मात्र मामला है, जो सामने आया है. कोरोना काल और लॉकडाउन ने जिस तरह लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर किया, उससे कई तरह की सामाजिक विसंगतियां भी तेजी से सामने आईं. जिसमें खास तौर से बाल विवाह के आंकड़ों में बेतहाशा वृद्धि देखी गई.

पढ़ें:गोल्ड मेडलिस्ट बेटी लड़ रही 'अपनों' से जंग, पिता कराना चाहता है बाल विवाह...आयोग से मदद की गुहार

बच्चों के अधिकारों और बाल विवाह पर काम करने वाली विशाखा संस्था की रिपोर्ट पर नजर डालें तो कोरोना काल में ऐसे अनेकों मामले हैं, जिनमें लाडो को बाल विवाह की भेंट चढ़ा दिया गया. राजधानी जयपुर के पास बगरू कस्बे में जहां विशाखा संस्था की ओर से बालिकाओं के साथ काम करती है, जहां हर मीटिंग में पहले 30 से 40 बालिकाएं शामिल होती. वहां पर अब एक भी लड़की नहीं है, इसकी जब वजह जानी तो सामने आया कि कोरोना काल में इन सभी लड़कियों की शादी हो गई.

विशाखा के भरत बताते हैं कि कोरोना काल मे लड़कियों की शादी के आंकड़ों में इजाफा हुआ है. एक रिपोर्ट में सामने आया कि कोरोना काल मे बाल विवाह के आंकड़े इसलिए बढ़े हैं, क्योंकि गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के सामने जो सामाजिक बाध्यता थी, वो नहीं रही. ऐसे में जिनके घर मे एक बेटी, जिसकी उम्र शादी के लायक हो गई और दूसरी बैठी उम्र में छोटी है, तब भी उसका उसके साथ विवाह कर दिया गया.

कोरोना काल में बाल विवाह की चुनौती...

  • कोरोना काल में बाल विवाह के ज्यादा मामले शहरों के आस पास कस्बों से सामने आए.
  • लॉकडाउन में खर्चे बचाने के लिए जल्द कर दी शादी
  • स्कूल बंद होने की वजह से बेटी को घर में रखने से ज्यादा अच्छा, उसकी शादी को प्राथमिकता दी गई.
  • प्रेम-प्रसंग के मामलों के चलते ज्यादा हुई लड़कियों की शादियां.
  • विरोध के संपर्क खत्म होने की वजह से भी ज्यादा हुए बाल विवाह .
  • कोरोना में ठप सरकारी मशीनरीए बढ़े बाल विवाह के मामले

पढ़ें:कच्ची उम्र में विवाह का दंश, बाल विवाह रोकने में राजस्थान सरकार नाकाम

साल दर साल बाल विवाह रोकने के लिए सरकार और सामाजिक स्तर पर कार्य किए गए, लेकिन राजस्थान के कई ऐसे जिले हैं, जहां बाल विवाह जैसी कुरीतियां खत्म नहीं हुई. आंकड़ों पर नजर डालें तो दौसा, जोधपुर, भीलवाड़ा, चुरू, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, करौली, अजमेर, बूंदी, चितौड़गढ़, नागौर, पाली, सवाई माधोपुर, अलवर, बारां और राजधानी जयपुर बड़े कस्बे हैं.

एक नेशनल रिपोर्ट के अनुसार, 75 फीसदी विवाह 18 साल से पहले हो जाते हैं, 22 फीसदी बच्चियां 18 वर्ष की उम्र से पहले मां बन जाती हैं. बाल विवाह रोकथाम के लिए कई तरह की सरकारी योजनाएं हैं, लेकिन कोरोना काल में ठप हुई सरकारी मशीनरी की वजह से सालों से किये गए प्रयासों को काफी पीछे धकेल दिया हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details