राजस्थान

rajasthan

By

Published : Apr 18, 2020, 12:17 AM IST

ETV Bharat / city

कोरोना का रैपिड टेस्ट करने वाला राजस्थान पहला राज्य: CM गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में शुक्रवार से रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट के माध्यम से कोरोना की जांच शुरू हो गई है. रैपिड टेस्ट करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. पहले दिन 60 जांच की गई, जो सभी नेगेटिव पाई गई है.

राजस्थान में हुआ रैपिड टेस्ट, Rapid test in Rajasthan
सीएम ने की प्रेस वार्ता

जयपुर.गहलोत ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीडियाकर्मियों के साथ कोरोना की स्थिति को लेकर वार्ता की. इस दौरान उन्होंने बताया कि 10 हजार टेस्ट किट प्राप्त होते ही जांच शुरू कर दी गई है. पचास हजार किट शुक्रवार रात तक मिलने हैं. 2 लाख किट तीन दिन में पहुंच जाएंगी. हालांकि उन्होंने बताया कि रैपिड टेस्ट कन्फरमेटरी टेस्ट नहीं है, इसलिए पीसीआर टेस्ट की व्यवस्था पूर्व की भांति जारी रहेगी. इसमें किसी तरह की कमी नहीं की जाएगी.

हर जिले में लैब के लिए काम शुरू

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हर जिले में कोरोना जांच के लिए लैब स्थापित करने पर काम शुरू कर दिया गया है. जनसंख्या और औद्योगिक इकाइयां ज्यादा होने के कारण सबसे पहले अलवर में यह लैब स्थापित की जा रही है. सब्जी विक्रेताओं, खाद्य पदार्थों की होम डिलीवरी करने वालों के भी रेपिड टेस्ट करवाए जाएंगे.

पढ़ेंःकोटा में फंसे बिहार के छात्रों ने PM मोदी से लगाई गुहार, कहा- हमें सुरक्षित घर पहुंचाएं

अब तक 42 हजार से ज्यादा टेस्ट

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में कोरोना की जांच की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है. बीते कुछ दिनों में पॉजिटिव मामलों की संख्या कम हुई है, इसका यह कतई मतलब नहीं कि टेस्ट की संख्या कम की गई है. राजस्थान में देश में सबसे ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं. अब तक 42 हजार 751 टेस्ट किए जा चुके हैं. वेंटिलेटर और अन्य उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.

केंद्र ने दिया गया सुझाव नहीं माना

गहलोत ने बताया कि केंद्र सरकार से टेस्ट किट, पीपीई, वेंटिलेंटर, अन्य उपकरणों की केंद्रीकृत खरीद के लिए आग्रह किया था. ऐसा करने पर उपकरणों की उपलब्धता उचित दरों पर जल्द उपलब्ध हो पाते, लेकिन केंद्र सरकार ने इस सुझाव को नहीं माना. इसके परिणाम स्वरूप खुद राज्यों को ही दुनिया के दूसरे देशों तक दौड़ लगानी पड़ी. अब किट उपलब्ध हो गए हैं, तो रेंडम टेस्ट शुरू किए जाएंगे. इससे संक्रमण की वास्तविकता का पता चल सकेगा. अभी प्रदेश में पर्याप्त संख्या में पीसीआर टेस्ट किट, पीपीई किट और वेंटिलेटर्स उपलब्ध हैं.

प्लाजमा ट्रीटमेंट की रिसर्च में एसएमएस भी शामिल

कोरोना के प्लाजमा ट्रीटमेंट पर बताया कि इसके लिए हो रहे शोध में एसएमएस अस्पताल भी जुड़ा हुआ है. एसएमएस के चार दवाओं के कॉम्बिनेशन पर भी दुनिया के देशों में रिसर्च हो रही है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए राजस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों सहित हर व्यक्ति ने बेहतरीन काम किया है.

पढ़ेंःलॉकडाउन में जागरूकता: इस गांव के लोग कोरोना वायरस के खिलाफ कुछ यूं लड़ रहे जंग

मॉडिफाइड लॉकडाउन के दौरान प्रोटोकॉल में कोई ढील नहीं

गहलोत ने बताया कि 20 अप्रेल से शुरू होने वाले मॉडिफाइड लॉकडाउन के दौरान मास्क लगाने, सामाजिक दूरी बनाने सहित सभी प्रोटोकॉल की पालना में कोई ढील नहीं दी जाएगी. केवल उद्योग-धंधों और काम पर आने-जाने के लिए मूवमेंट में आंशिक छूट केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप दी जाएगी. मेडिकल प्रोटोकॉल के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज का नाम जाहिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इससे कई बार मरीज को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है.

क्वॉरेंटाइन सुविधा जगह की उपलब्धता के अनुसार

मुख्यमंत्री ने बताया कि क्वॉरेंटाइन की सुविधा आबादी क्षेत्र के पास होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कोरोना हवा से फैलने वाली बीमारी नहीं है. क्वॉरेंटाइन सुविधा जगह की उपलब्धता और भोजन की व्यवस्था सुलभ करवाने में आसानी होने के आधार पर तय की जाती है. कोई भी सरकार नहीं चाहेगी कि एक भी मरीज की संख्या बढ़े, इसलिए क्वॉरेंटाइन में सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल की पूरी पालना की जाती है.

पढ़ेंःजयपुरः सेहत पर फोकस के लिए शेल्टर होम में शुरू हुई योग पाठशाला

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में केंद्र की भूमिका अधिक

गहलोत ने कहा कि कोरोना के संक्रमण और लॉकडाउन के कारण देश में प्रवासी मजदूरों की समस्या बहुत गंभीर हो गई है. चाहे मजदूर अपने राज्य में रह रहे हों या दूसरे राज्य में उनका एक बार अपने घर जाना जरूरी है. ऐसे में 20 अप्रेल के बाद हो सकता है, भारत सरकार इसमें थोड़ी छूट दे दे. ऐसा होने से मजदूरों का टूटा मनोबल लौट सकेगा और वह अपने रोजगार पर वापस आने में सहूलियत महसूस करेंगे.

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार स्वयं के लिए केंद्र सरकार से पैकेज मांग रही है, हमारा मानना है कि उद्योगों को भी इस संकट के दौर से बाहर आने के लिए मदद की जानी चाहिए. यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है, जिसमें सभी वर्ग परेशानी में हैं. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार की बजाय केंद्र सरकार की भूमिका अधिक है.

वित्तीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से कम होंगी तकलीफें

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन से केवल मध्यम वर्ग नहीं, सभी वर्गों की परेशानियां बढ़ी हैं. खुद सरकारें भी विषम आर्थिक हालातों का सामना कर रही हैं. पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है, इससे निपटने के लिए सभी को कुछ त्याग करना पडे़गा. देश-प्रदेश और परिवारों को खर्चों में कटौती करनी पडे़गी. वित्तीय संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करना पडे़गा, तभी सबकी तकलीफें कम हो सकेंगी.

पढ़ेंः भरतपुरः युवक की हत्या करने वाला चचेरा भाई गिरफ्तार

मजदूरों को रोजगार के लिए बनाएंगे योजना

गहलोत ने कहा कि राजस्थान पहला राज्य है, जहां मजदूरों की परेशानी को दूर करने का लक्ष्य रखकर काम शुरू किया गया है. आमजनता, समाज और प्रशासन ने इसमें भरपूर सहयोग दिया है. कुछ काम-धंधे 20 अप्रेल के बाद शुरू हो जाएंगे तो कुछ लोगों को काम मिल जाएगा. उसके बाद आंकलन कर शेष मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की योजनाएं बनाई जाएगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details