जयपुर.6 दिन बाद आखिरकार बीवीजी कंपनी (भारत विकास ग्रुप ) के (BVG company sweepers strike ends in Jaipur) सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हुई. निगम से 2 महीने का (Municipal Corporation assures payment of 2 months arrears) बकाया भुगतान का आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल खत्म हुई है. मुख्य सचिव की लताड़ के बाद ग्रेटर नगर निगम आयुक्त ने वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए 14 जेसीबी 28 डंपर और 14 ट्रैक्टर ट्रॉली को किराए पर लेकर सड़कों पर बने कचरा डिपो को हटवाया.
बीते 6 दिन से बीवीजी कंपनी के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर थे. नतीजन 4 जोन में डोर टू डोर कचरा संग्रहण ही नहीं हुआ और करीब 3000 टन कचरा सड़कों पर पड़ा रहा. शहर की बदहाल व्यवस्था पर मुख्य सचिव उषा शर्मा ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कमिश्नर को ये तक कहा कि यदि टेंडर प्रक्रिया का काम उनसे नहीं हो रहा है, तो सरकार के पास भेज दें. इस पर आयुक्त ने निगम अधिकारियों के साथ आपात बैठक करते हुए रोड साइड कचरा डिपो हटाने की वैकल्पिक व्यवस्था की और संसाधनों को किराए पर लेकर शहर की सड़कों से कचरा हटाने की कार्रवाई शुरू की गई.
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चूंकि स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर केंद्र की टीम सर्वे के लिए इस महीने कभी भी आ सकती है. इस दबाव में निगम ने बीवीजी कंपनी को नवंबर-दिसंबर महीने का बकाया भुगतान करने का भी आश्वासन दिया. बीवीजी प्रतिनिधि उम्मेद सिंह ने बताया कि निगम के आश्वासन के बाद सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हुई.आपको बता दें कि कंपनी का आरोप था कि नगर निगम प्रशासन ने 3 महीने का करीब 14 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान नहीं किया. हर महीने जेब से करीब 4 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. ऐसे में कर्मचारियों को वेतन देना संभव नहीं है. हालांकि अब 2 महीने का भुगतान करने का आश्वासन दिया गया है. इससे पहले महापौर ने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि बोर्ड की पहली बैठक में सभी पार्षदों ने बीवीजी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला लिया था, इस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी.
बकाया राशि के कारण गए थे हड़ताल परःबीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि उम्मेद सिंह ने बताया कि कंपनी का 3 महीने का 14 करोड़ रुपए निगम पर बकाया चल रहा था. हर महीने जेब से करीब 4 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. ऐसे में सफाई कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं हो सका था. जिसके चलते 4 जोन के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे.
2017 से काम कर रही है बीवीजीःबीवीजी (भारत विकास ग्रुप ) कंपनी 2017 से राजधानी में डोर टू डोर कचरा संग्रहण का काम कर रही है. लेकिन पहले साल से ही कंपनी को काम में कोताही बरतने पर नोटिस मिलना शुरू हो गए थे. वर्तमान बोर्ड ने पहली साधारण सभा की बैठक में कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला लिया था. जिस पर कंपनी ने कोर्ट से स्टे लिया था. लेकिन अब कोर्ट ने भी कंपनी की याचिका खारिज कर दी है.