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भाई दूज : जानें शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व

भाई-बहनों के स्नेह का प्रतीक पर्व भाई दूज आज देशभर में मनाया जा रहा है. भाईदूज के दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाएंगी और उन्हें भोजन कराएंगी. साथ ही उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी. भाईदूज पर क्या है शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व.

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Published : Oct 29, 2019, 10:18 AM IST

जयपुर.भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक पर्व है. भाईदूज का त्यौहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है. यह त्यौहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को अपने घर पर आमंत्रित कर उनके तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं.

भाई दूज का त्यौहार आज

वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन एकसाथ बैठकर यह त्यौहार मनाते हैं. बहन अपने भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है. मान्यता है कि भाई दूज के दिन यदि भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है.

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भाई दूज का त्यौहार देश भर में धूम-धाम से मनाया जाता है. हालांकि, इस पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है. उत्तर भारत में जहां यह चलन है कि इस दिन बहनें भाई को अक्षत और तिलक लगाकर नारियल भेंट करती हैं. वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं. मान्यता है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है.

भैया दूज व्रत कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि यमराज अपने इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करें. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहते थे. कार्तिक शुक्ला का दिन आया यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

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यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. पर यमुना बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया.

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यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे .यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक चले गए. इसी दिन से भाई दूज पर्व की परम्परा बनी. ऐसी मान्यता है कि जो भाई अपनी बहन की आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता.

जानें भाई दूज शुभ मुहूर्त

द्वितीया तिथि - मंगलवार - सुबह 6: 13 बजे से बुधवार सुबह 3:48 बजे तक
पूजन मुहूर्त - मंगलवार - दोपहर 01:11 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक

शास्त्रों के अनुसार भाई दूज का त्यौहार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले द्वितीया तिथि में मनाना चाहिए. बता दें कि मंगलवार को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा. इस समय से पूर्व यह त्यौहार शुभ चौघड़िया में मनाना चाहिए.

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सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक लाभ का चौघड़िया रहेगा. इस समय पूजन करना उत्तम रहेगा. इसके बाद 1 बजकर 30 मिनट तक अमृत चौघड़िया में भी त्यौहार मनाया जा सकता है. अंतिम शुभ चौघड़िया 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा.

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पौराणिक कथा के अनुसार भाईदूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीघार्यु की कामना की थी. इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं.

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