जयपुर.देश में अधिवक्ताओं की नियामक संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने 'वन बार-वन वोट' के (Bar Council of India Rules) मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 नवंबर को राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के चुनाव पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही बार काउंसिल ने कहा है कि यदि इस दौरान प्रदेश की किसी भी बार एसोसिएशन के चुनाव प्रस्तावित हैं, उन पर भी रोक रहेगी. वहीं, बीसीआई ने मामले में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान (BCR) और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर को नोटिस जारी कर 9 जनवरी 2023 तक जवाब मांगा है. बीसीआई ने यह आदेश अधिवक्ता सुमेर सिंह ओला की याचिका पर दिए.
बीसीआई ने बीसीआर को कहा है कि वह मतदाता सूची तैयार करने के संबंध में बार एसोसिएशनों को दिशा-निर्देश जारी (Stay on Bar Association Elections) करें. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के वार्षिक चुनाव 18 नवंबर को प्रस्तावित हैं. इन चुनाव में वन बार-वन वोट के सिद्धांत को लागू किया जाए. याचिका में बताया गया कि बार एसोसिएशन के चुनाव में उन वकीलों को मतदाता के रूप में शामिल किया जाए, जो नियमित रूप से संबंधित कोर्ट में वकालत करते हैं. अनियमित वकालत करने वाले और बाहरी अधिवक्ता को इस चुनाव को हाईजैक करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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याचिका में कहा गया कि शहर के कई वकील एक बार एसोसिएशन से अधिक एसोसिएशन (BCI issued Notice to BCR) में सदस्य हैं और मताधिकार रखते हैं. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के चुनाव में बड़ी संख्या में दी बार एसोसिएशन, जयपुर, सांगानेर बार एसोसिएशन और डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन सहित कई दूसरी बार एसोसिएशनों के मतदाता मतदान करते हैं. लेकिन वे या तो हाईकोर्ट में वकालत नहीं करते या फिर कभी-कभार ही पैरवी के लिए आते हैं. इसके बावजूद ऐसे वकील हाईकोर्ट बार सहित अन्य बार एसोसिएशन के पंजीकृत मतदाता बने हुए हैं.
इसके चलते पूरा सिस्टम हाईजैक हो जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी वन बार-वन वोट के संबंध में दिशा-निर्देश दे रखे हैं. ऐसे में हाईकोर्ट बार चुनाव में वन बार-वन वोट की कठोरता से पालना कराई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए काउंसिल ने बीसीआर और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को नोटिस जारी करते हुए 18 नवंबर को होने वाले हाईकोर्ट बार व अन्य बारों के प्रस्तावित चुनाव पर रोक लगा दी है.
चिकित्सक के तबादले पर रोक : राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन साल की ग्रामीण सेवा के बीच चिकित्सक (transfer Order of Doctor from Rural to Urban Area) का ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में किए गए तबादला आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख चिकित्सा सचिव, संयुक्त स्वास्थ्य सचिव, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित ब्लॉक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सांगानेर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश डॉ. अभिनव की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
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याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि चिकित्सा सेवा नियम के नियम 22 ए के तहत चिकित्सा अधिकारी की प्रथम नियुक्ति तीन साल के लिए ग्रामीण क्षेत्र में की जाएगी. इसके अलावा अभ्यर्थी के पीजी करने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र में तीन साल तक काम करने के हर वर्ष के दस अंकों की गणना कर अधिकतम 30 बोनस अंक दिए जाते हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की प्रथम नियुक्ति वर्ष 2020 में जयपुर के गोनेर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुई थी. यह पीएचसी चिकित्सा विभाग की सूची के तहत ग्रामीण क्षेत्र में आती है.
वहीं, गत 19 जुलाई को चिकित्सा विभाग ने आदेश जारी कर उसका तबादला बाड़मेर के सिवाना स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कर दिया. याचिका में बताया गया कि सिवाना की सीएचसी चिकित्सा विभाग की ग्रामीण क्षेत्र की सूची में शामिल नहीं है. ऐसे में 3 साल से पहले तबादला करने पर याचिकाकर्ता को पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए तीसरे साल के 10 अंकों से वंचित होना पड़ेगा और यह उसके हितों के विपरीत होगा. ऐसे में उसके तबादला आदेश पर रोक लगाई जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.