जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-3 महानगर द्वितीय ने विधायकों की खरीद फरोख्त के षड्यंत्र के मामले में एसओजी की ओर से गिरफ्तार किए आरोपी भरत मालानी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी ने राज्य में विधि की ओर से स्थापित सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की है. इसके अलावा मामले में आईपीसी की धारा 124ए और 120बी के तहत जांच विचाराधीन है, ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.
आरोपी मालानी की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि उसे प्रकरण में झूठा फंसाया गया है. एफआईआर से स्पष्ट है कि राज्य सरकार की पार्टी के किसी भी व्यक्ति को ना तो कोई रिश्वत राशि दी गई और ना ही उनसे प्रार्थी ने संपर्क किया है. इसके अलावा कांग्रेस विधायक ने भी प्रार्थी से संपर्क को लेकर कोई बयान नहीं दिया है.
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वर्तमान प्रकरण राजनीतिक पार्टी की आपसी खींचतान का नतीजा है, जिसमें प्रार्थी को फंसाया जा रहा है. इसके अलावा कॉल रिकॉर्डिंग करने का आधार अवैध हथियार और विस्फोटक की तस्करी में लिप्त होना बताया गया है. जबकि प्रार्थी के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है और ना ही वह किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त रहा है. इसके अलावा उससे कोई बरामदगी भी नहीं हुई है, ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.
वहीं, इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहनलाल गुर्जर ने कहा कि आरोपी ने सरकार को अस्थिर करने का काम किया है और मामले में अभी जांच विचाराधीन है. यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह अनुसंधान को प्रभावित कर सकता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.
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गौरतलब है कि एसओजी ने गत 10 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज की थी कि अवैध हथियारों की रोकथाम के लिए दो मोबाइल नंबर को रिकॉर्डिंग पर लिया गया था. इन नंबर पर बातचीत से प्रकट हुआ कि वर्तमान में राज्य सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. जिस पर कार्रवाई करते हुए अदालत ने भरत मालानी और अशोक सिंह को गिरफ्तार किया था.