राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

नए मोटर व्हीकल एक्ट का विरोध, प्रदेश में सोमवार को नहीं चलेगा कोई भी कमर्शियल वाहन

प्रदेश में लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माना राशि लगाए जाने पर ट्रांसपोर्टर खफा हैं. ऐसे में अब तक जुर्माना राशि वापस नहीं लिए जाने पर 20 जुलाई को ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल और चक्का जाम करने का एलान किया है.

बंद रहेंगे सभी कमर्शियल वाहन, All commercial vehicles remain closed
बंद रहेंगे सभी कमर्शियल वाहन

By

Published : Jul 19, 2020, 3:13 PM IST

जयपुर. पूरे देश में 1 सितंबर, 2019 से केंद्र सरकार द्वारा नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया था. नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी भरकम जुर्माने की वजह से राजस्थान सहित कई राज्यों में इसे लागू नहीं किया गया था, लेकिन 8 जुलाई को राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने अधिसूचना निकाल कर राजस्थान में भी संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया है.

बंद रहेंगे सभी कमर्शियल वाहन

ऐसे में प्रदेश में लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माना राशि लगाए जाने से खफा ट्रांसपोर्टरों ने जुर्माना राशि वापस नहीं लिए जाने पर 20 जुलाई को हड़ताल और चक्का जाम करने का एलान किया है. जयपुर कमर्शियल वाहन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप महरौली का कहना है, कि कोरोना वायरस के कारण कार्य पूरी तरह प्रभावित रहा है.

पढ़ेंःCM की राज्यपाल से मुलाकात, 22 जुलाई से शुरू हो सकता है विधानसभा सत्र

इसके बावजूद सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला है. संक्रमण काल के दौरान ही नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माना राशि लगाए जाने से व्यवसाय भी पूरी तरह खत्म हो गया है. महरौली ने कहा कि सोमवार को एक दिवसीय संकेतिक हड़ताल के बाद भी सरकार ने ट्रांसपोर्टर की मांग नहीं मानी, तो ट्रांसपोर्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल और चक्का जाम भी करेंगे.

इस संबंध में जयपुर कमर्शियल वाहन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप महरौली ने बताया कि सोमवार को पूरे प्रदेश में हड़ताल और चक्काजाम के दौरान राजस्थान में 7 लाख ट्रक 2 लाख ट्रोले और 13,000 ट्रांसपोर्ट कंपनियां पूरी तरह बंद रखी जाएगी. बंद के दौरान कारोबारियों को करीब 500 से 600 करोड़ रुपए तक का नुकसान भी होगा.

जयपुर कमर्शियल वाहन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप महरौली का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते कमर्शियल वाहन मालिक मंदी की मार झेल रहे हैं. भारी जुर्माना लगने के बाद मंदी की मार झेल रहा व्यवसाय पूरी तरह बंद होने की कगार पर आ गया है. इनका कोई सुनने वाला भी नहीं है. राजस्थान में अन्य पड़ोसी राज्य से डीजल भी आठ से 10 रुपये महंगा है. ऐसे में राठौड़ ने कहा कि सरकार को वैट कम भी करना चाहिए. इसके बावजूद डीजल के दामों में किसी तरह की राहत भी नहीं दी जा रही है.

उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि वर्तमान में डीजल के दाम 85 लीटर के पार कर चुके हैं. वहीं कमर्शियल वाहन महासंघ के संयोजक अनिल आनंद ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में परिवहन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन मांगों पर सुनवाई नहीं हो रही है. स्थिति यह है कि कांटे की पोल के हिसाब से 1 टन पर 20 हजार जुर्माना कर दिया है.

लोडिंग के दौरान 1 टन बढ़ाने में पहले 500 का जुर्माना हुआ करता था, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात में यह जुर्माना काफी कम है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में जुर्माना महाराष्ट्र और गुजरात की तरह किया जाए.

पढ़ेंःझुंझुनू: अनियंत्रित होकर डिवाइडर पर चढ़ा ऑटो, चालक की हालत गंभीर

उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम राजस्थान में सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में पड़ोसी राज्यों में दाम कम होने के चलते ट्रांसपोर्टर पड़ोसी राज्य से डीजल भराते है. ऐसे में सरकार के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को डीजल के दामों में कमी करनी चाहिए. जिससे सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी हो.

ABOUT THE AUTHOR

...view details