बीकानेर. रसगुल्ले और भुजिया के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर सांस्कृतिक लिहाज से भी काफी समृद्ध है और चुनावी चर्चा में बीकानेर का जिक्र किए बिना चुनावी रंगत पूरी नहीं होती. बीकानेर में इन दिनों चुनावी चर्चा भी चरम पर है बड़े शहरों की तरह सोशल मीडिया भी यहां पूरी तरह से प्रभावी है लेकिन बीकानेर में चुनावी पाटा का भी अपना महत्व है. दरअसल अंदरूनी शहर में मोहल्ले में लकड़ी का एक पाटा सार्वजनिक चौपाल के रूप में बना होता है जहां मोहल्ले के लोग रात को पहुंचते हैं और कई घंटों तक देश के ज्वलंत समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा करते हैं और चुनावों के दौरान यह पाटा पूरी तरह से चुनावी चर्चा का मंच बन जाता है.
लोकसभा चुनाव को लेकर क्या कहता है बीकानेर का पाटा - Bikaner
लोकसभा चुनावों को लेकर पूरे देश में रंगत परवान पर है. भाजपा जहां मोदी की लहर बताकर चुनाव में फिर से सफलता की बात कह रही है तो वहीं कांग्रेस पिछले 5 सालों में देश में जुमलों के अलावा कुछ नहीं होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा करती नजर आ रही है. राजनीतिक पार्टियों और उनके प्रत्याशी के दावे अपनी जगह हैं. लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने जाना क्या है जनता का मूड.
इस पाटे पर हर पार्टी का समर्थक नेता कार्यकर्ता अपने अपने तथ्यों बात रखता है हालांकि यह किसी पार्टी का राजनीतिक मंच नहीं होता क्योंकि यहां नियमित बैठने वाले लोग राजनीति से सीधे जुड़े हो ऐसा नहीं है. बीकानेर में यह पाटा कई मोहल्लों में है और कई दशकों से इस पार्टी पर बैठने की रिवायत बनी हुई है. दरअसल अंदरूनी शहर में छोटे मकान और ज्यादा सदस्य होने के चलते रात्रि में लोग यहां मेल मिलाप और टाइम पास के लिए बैठते हैं मोहल्ले में सार्वजनिक बैठक के रूप में प्रचलित इन पाटों पर हर मुद्दे पर चर्चा होती है कहा यह भी जाता है इन पाटों पर होने वाली चर्चा का निचोड़ लगभग सटीक ही बैठता है.
बीकानेर की आचार्य चौक में ऐसे ही एक पाटे पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम और हमारे संवाददाता अरविन्द व्यास ने लोगों से आने वाली सरकार को लेकर बातचीत की. इस दौरान लोगों ने कहा कि सरकार किसी की बने लेकिन वह स्थाई होनी चाहिए जनता के मुद्दों पर गंभीर होनी चाहिए.